डीएनए हिंदी: कांग्रेस पार्टी के लिए भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) निकालने के बाद राहुल गांधी को उम्मीद थी कि 2024 के लिए वह अपनी दावेदारी मजबूत करेंगे. अब हालात ऐसे होते जा रहे हैं कि खुद कांग्रेस और राहुल गांधी ही अकेले पड़ते जा रहे हैं. तेलंगाना के सीएम केसीआर हों या पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee), कई क्षेत्रीय नेताओं का मानना है कि सत्ताधारी बीजेपी को कांग्रेस की अगुवाई में चुनौती नहीं दी जा सकती है. हाल ही में अखिलेश यादव और ममता बनर्जी ने तो अपने गठबंधन में कांग्रेस को शामिल न करने का ऐलान करके सबको चौंका दिया है. ममता बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया कि अगर राहुल गांधी अगुवाई करेंगे तो इसका फायदा बीजेपी और नरेंद्र मोदी को ही मिलेगा.

ममता बनर्जी और अखिलेश यादव जैसे नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के बजाय क्षेत्रीय पार्टियां ही बीजेपी को चुनौती दे सकती हैं. अखिलेश यादव अब दावा कर रहे हैं कि वह उत्तर प्रदेश में अपने गठबंधन के बलबूते बीजेपी को हराकर दिखाएंगे. हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी को हराने में कामयाब नहीं हुए थे लेकिन अब वह नए सिरे से तैयारियों में जुटे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- खींचतान खत्म होने के बाद आज बजट पेश करेगी दिल्ली सरकार, जानिए क्या है लोगों की आस

केसीआर, ममता और अखिलेश बना रहे अलग प्लान
कुछ दिनों पहले जब तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव ने एक बड़ी रैली का आयोजन किया था तो वहां दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, अखिलेश यादव, केरल के सीएम पिनराई विजयन और सीपीआई के महासचिव डी राजा सरीखे नेता शामिल हुए. इस बैठक में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के शामिल न होने पर सवाल भी उठे लेकिन केसीआर ने कहा कि समय के साथ वह भी साथ आएंगे.

इस तरह ममता बनर्जी, केसीआर और अखिलेश यादव जैसे नेता क्षेत्रीय पार्टियों का मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं. इन नेताओं का लक्ष्य है कि क्षेत्रीय पार्टियां अपने-अपने राज्यों में मजबूती से लोकसभा चुनाव लड़ें और ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर ध्यान दें. यही वजह है कि ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक को भी इस मोर्चे में साथ लेने की कोशिश की जा रही है.

यह भी पढ़ें- राहुल गांधी पर बीजेपी का हमला, 'आज के मीर जाफर को माफी मांगनी ही होगी'

क्षेत्रीय दलों वाले राज्यों में क्या है सीटों का गणित?
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80, पश्चिम बंगाल में 42, पंजाब में 13, दिल्ली में 7, तेलंगाना में 17, केरल में 20 और ओडिशा में कुल 21 सीटे हैं. कुल मिलाकर ये लोकसभा की 200 सीटे हैं. ये ऐसे राज्य हैं जहां कांग्रेस पार्टी ज्यादा मजबूत स्थिति में नहीं है और बीजेपी को सीधी चुनौती क्षेत्रीय पार्टियों से ही मिल रही है. ऐसे में इन पार्टियों का जोर है कि इनमें से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जाएं और चुनाव नतीजों के बाद मोर्चा बनाने की कोशिश की जाए.

इनके अलावा, 40 सीटों वाले बिहार और 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में भी कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है. हालांकि, वह बिहार के सत्ताधारी महागठबंधन और महाराष्ट्र के महा विकास अघाड़ी का हिस्सा है. बिहार में आरजेडी और जेडीयू के साथ आने और महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी के साथ बने रहने की वजह से बीजेपी की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इसके बावजूद कांग्रेस को इसमें विशेष फायदा नहीं है और वह अलग-थलग पड़ती दिखाई दे रही है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.  

Url Title
regional parties joining hands before 2024 general elections congress getting alone
Short Title
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अकेली पड़ रही कांग्रेस? ममता बनर्जी और अखिलेश यादव
Article Type
Language
Hindi
Section Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
General Elections 2024
Caption

General Elections 2024

Date updated
Date published
Home Title

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अकेली पड़ रही कांग्रेस? ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने चौंकाया