उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे आजम खान अब जेल में हैं. 2019 में इस सीट पर जीते आजम खान को सजा होने के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यह सीट सपा से छीन ली थी. आधे से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं वाली इस सीट पर आजम खान ने अखिलेश यादव से चुनाव लड़ने की अपील की है. ऐसा न होने पर उन्होंने चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है. वहीं, बीजेपी के उम्मीदवार मौजूदा सांसद घनश्याम लोधी हैं जो एक बार फिर से यहां कमल खिलाने के लिए चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. अब समाजवादी पार्टी ने मौलाना मुहीबुल्लाह नदवी को रामपुर से अपना प्रत्याशी बनाया है.
आजम खान का गढ़ कहे जाने वाले रामपुर में बीते कुछ सालों में सियासी समीकरण तेजी से बदले हैं. आजम खान परिवार के ज्यादातर नेता जेल जा चुके हैं. खुद आजम खान एक बार फिर से जेल में बंद हैं. 2019 में इस सीट से चुनाव जीते आजम खान को सजा हो जाने के बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी के घनश्याम लोधी ने यह सीट सपा के हाथ से छीन ली थी. हालांकि, जीत का अंतर कम था लेकिन आपसी मतभेदों के चलते समाजवादी पार्टी इस सीट पर बुरी तरह से फंसी नजर आ रही है.
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आजम खान ने 2019 में छीन ली थी सीट
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन था. सपा ने अपने कद्दावर नेता आजम खान को चुनाव में उतारा था. वहीं, 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी से रामपुर की सांसद रहीं जया प्रदा को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. तब आजम खान ने जया प्रदा को एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव हरा दिया था. हालांकि, 2022 में उन्हें सजा हो गई और उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई.
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क्या है रामपुर का गणित?
रामपुर में विधानसभा की कुल 5 सीटें हैं. मौजूदा समय में सिर्फ एक सीट पर सपा का विधायक है. बाकी 3 पर बीजेपी और एक पर अपना दल (सोनेलाल) का विधायक है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 52 प्रतिशत के आसपास है. इसके बावजूद 2022 के उपचुनाव में घनश्याम लोधी ने सपा के उम्मीदवार को पटखनी दे दी थी.
रामपुर में मतदाताओं की कुल संख्या 16 लाख से ज्यादा है. इसमें 8.7 लाख पुरुष तो 7.4 लाख महिलाएं हैं. सपा के लिए चुनौती है कि आपसी मतभेदों से उबरा जाए और चुनाव में एकजुटता दिखाई जाए.
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Rampur Lok Sabha Seat: रामपुर में वापसी करेगी सपा या आपसी खींचतान बिगाड़ेगी खेल?