डीएनए हिंदी: अयोध्या में हो रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत भी हिस्सा लेंगे. भागवत इसके लिए रामनगरी पहुंच गए हैं और उन्होंने अपने एक लेख में कहा कि पुरानी बातों और कड़वाहटों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने का वक्त आ गया है. उन्होंने सभी समुदाय के लोगों को एकजुट होकर रहने का आग्रह करते हुए कहा कि अयोध्या की पहचान हर तरह के संघर्षों से मुक्त होकर सबके मिल-जुलकर रहने की जगह के तौ पर बननी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि अकारण ही पक्ष और विपक्ष बन गए हैं और अब वक्त आ गया है कि सबको इन कड़वाहटों को पीछे छोड़ना होगा. इन सबकी वजह से समुदायों में पैदा हुई कटुता खत्म होनी चाहिए.
आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि धार्मिक दृष्टि से श्रीराम बहुसंख्यक समाज के आराध्य देव हैं. श्री रामचन्द्र का जीवन संपूर्ण समाज की ओर से स्वीकृत आचरण का आदर्श है. आरएसएस चीफ ने कहा कि इसलिए अब अकारण विवाद को लेकर जो पक्ष-विपक्ष खड़ा हुआ है उसे खत्म कर देना चाहिए.' उन्होंने समाज के प्रभावशाली लोगों से आग्रह किया कि इस कड़वाहट और विवाद को खत्म करने के लिए हर समुदाय के प्रबुद्ध लोगों को कदम उठाना होगा.
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'अयोध्या क बनाएं संघर्ष मु्क्त जगह'
अपने लेख में उन्होंने आग्रह किया कि समाज के प्रबुद्ध लोगों को देखना चाहिए कि विवाद और कड़वाहट पूरी तरह से खत्म हो जाए. अयोध्या के बारे में उन्होंने कहा, 'अयोध्या का अर्थ है ‘जहां युद्ध न हो’, ‘संघर्ष से मुक्त स्थान’. अयोध्या का पुनर्निर्माण आज की आवश्यकता है और हम सभी का कर्तव्य भी है.' उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या को एक ऐसे जगह के तौर पर विकसित करने की कोशिश सबको मिलकर करनी चाहिए जो हर तरह के संघर्षों से मुक्त हो.
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'मंदिरों पर हमले के बाद भी हिंदुओं का मनोबल बना रहा'
आरएसएस प्रमुख ने अपने लेख में ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए लिखा कि मंदिरों पर अतीत में कई हमले हुए हैं. उन्होंने लिखा, 'अयोध्या में राम मंदिर पर हमला इसी उद्देश्य से किया गया था. भारत पर भले ही हमले किए गए, मगर यहां के शासकों ने कभी विदेशी धरती पर हमला नहीं किया. मंदिरों पर हमलों के बाद भी भारत में समाज की आस्था निष्ठा और मनोबल कभी कम नहीं हुआ.' राम मंदिर निर्माण को भी उन्होंने इसी मनोबल का नतीजा बताया है.
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प्राण प्रतिष्ठा से पहले बोले भागवत, 'पुरानी बातें छोड़ आगे बढ़ने का समय'