लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Elections 2024) को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर 27 फरवरी को चुनाव होना है. बीजेपी ने 8 और समाजवादी पार्टी ने 3 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी के 7 उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है. लेकिन उसके आठवें कैंडिडेट की वजह से पेच फंस गया है. इसके चलते जनसत्ता दल लोकतांत्रिक (JDL) के अध्यक्ष राजा भैया किंग मेकर की भूमिका में आ गए हैं.
बीजेपी और सपा दोनों ने राजा भैया को अपने पाले में लागने के लिए कुंडा हवेली पर चक्कर लगाना शुरू कर दिया है. यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और योगी सरकार में मंत्री जेपीएस राठौर ने सोमवार को राजा भैया से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. इससे पहले सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने अचानक राजा भैया से मुलाकात की थी. उन्होंने राजा भैया और अखिलेश यादव की फोन पर बात भी कराई थी.
राजा भैया की JDL के पास दो विधायक हैं. उनकी वोट जिसके भी पाले में जाएगी, उसके उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है. एनडीए के पास कुल 277 वोट हैं. राज्यसभा के एक उम्मीदवार को जीत के लिए 37 वोटों की जरूरत होती है. इसके हिसाब से बीजेपी के 7 उम्मीदवारों की जीत तो पक्की है. लेकिन आठवें उम्मीदवार संजय सेठ के लिए उसके पास सिर्फ 18 वोट बचेंगे. इसके अलावा RLD के 9 वोट भी अब एनडीए के पास हैं.
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वहीं, राजा भैया ने भी अपना समर्थन बीजेपी को देनी की बात कही है. अगर वह समर्थन करते हैं तो उनके दो वोट भी बीजेपी के खाते में चले जाएंगे. लेकिन तब भी उनको जीत के लिए 8 वोटों की जरूरत पड़ेगी. जिसका मतलब है कि केवल क्रॉस-वोटिंग ही उनकी जीत में मददगार साबित हो सकती है.
सपा की तीसरी सीट पर फंसा पेच
वहीं, सपा की बात करें तो उसकी तीसरी सीट पर पेच फंस रहा है. सपा को तीनों सीटों को जीतने के लिए 111 विधायकों के वोट जरूरत है. मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी के पास 108 विधायक हैं, जिनमें से एक विधायक पल्लवी पटेल ने सपा उम्मीदवार को वोट देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में उसके पास 107 विधायक ही बचते हैं. कांग्रेस के दो विधायकों को मिला लिया जाए तो उसके 109 वोट होते हैं. फिर भी उसको तीसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए 2 वोटों की जरूत होगी.
2018 की तरह खेला करेंगे राजा भैया?
अगर राजा भैया समर्थन कर देते हैं तो सपा की तीसरी सीट निकल सकती है. वरना उसका भी पेच फंस गया है. ऐसे में समाजवादी पार्टी को भी क्रॉस वोटिंग की जरूरत पड़ेगी. इसलिए इस चुनाव में राजा भैया किंग मेकर के तौर पर देखे जा रहे हैं. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब राजा भैया इस भूमिका में आए हैं. इससे पहले 2018 के राज्यसभा चुनाव में भी ऐसा ही पेच फंसा था, तब उन्होंने एक वोट सपा उम्मीदवार जया बच्चन और दूसरा वोट बीजेपी उम्मीदवार को दिया था.
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बाहुबली राजा भैया की कुंडा हवेली पर क्यों BJP से लेकर SP तक लगा रहे हैं चक्कर?