डीएनए हिंदीः राजस्थान के जालौर में एक दलित छात्र की मटके से पानी पीने पर उच्च वर्ग के टीचर द्वारा मारपीट के बाद मौत के मामलों को लेकर पूर्व लोकसभा स्पीकर और कांग्रेस नेता मीरा कुमार (Meira Kumar) का भी दर्द झलका है. उन्होंने माना कि देश में जाति के आधार पर लोगों से भेदभाव की घटनाएं अभी भी जारी हैं. मीरा कुमार ने एक ट्वीट के जरिए अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की. एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि "जो भी हुआ है वह बेहद भयावह है. 100 साल पहले मेरे पिता बच गए थे, लेकिन 100 साल बाद बच्चे को जान गंवानी पड़ी."
क्या है मामला
राजस्थान के जालौर जिले के सुराना गांव में एक निजी स्कूल के शिक्षक ने दलित छात्र इंद्र मेघवाल को 20 जुलाई को पानी का मटका छूने के आरोप में बुरी तरह से पीटा था. इसके बाद इलाज के दौरान उसकी अस्पताल में मौत हो गई. इस मामले को लेकर राजनीतिक दलों ने जमकर निशाना साधा है. मीरा कुमार ने कहा कि उनके पिता, पूर्व उप-प्रधानमंत्री और दलित नेता बाबू जगजीवन राम को सौ साल पहले इसी तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ा था.
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मीरा कुमार ने ट्वीट में कहा, ‘100 वर्ष पहले मेरे पिताजी बाबू जगजीवन राम को स्कूल में सवर्णों के घड़े से पानी पीने से रोका गया था. किसी तरह उनकी जान बच गई. आज, इसी वजह से एक 9 वर्ष के दलित बच्चे को मार दिया गया. आज़ादी के 75 वर्षों के बाद भी जातिवाद हमारा सबसे बड़ा शत्रु है. कलंक है.’ मीरा कुमार ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘मुझ पर भी भद्दी टिप्पणियां और इशारे किये गए थे.’ मेरे पिता ने काफी मुश्किलों के बावजूद बहुत कुछ हासिल किया लेकिन उन्हें आज भी दलित लीडर के तौर पर जाना जाता है. किसी अन्य नेता को उसकी जाति से नहीं जाना जाता. चूंकि मेरे पिता दलित थे, इसलिए उन्हें इस नाम से जाना जाता है.
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मेरे पिता उप-प्रधानमंत्री थे, फिर भी उन्हें 'चमार' कहा जाता था, दलित छात्र की हत्या पर बोलीं मीरा कुमार