डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को मोदी सरनेम केस में सूरत की सेशन कोर्ट ने 2 साल की सजा सुना दी है. कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए 15,000 रुपये का फाइन भी लगाया है. लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम, 1951 के एक कानून के तहत उनका पद छीना जा चुका है. राहुल गांधी के पद पर यह संकट नहीं आता अगर उनसे एक गलती नहीं हुई होती.
राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार की ओर से पारित एक अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी. 10 साल पहले हुई यह गलती उन पर भारी पड़ गई है. ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की वजह से राहुल गांधी का पद खतरे में पड़ गया. अब 8 साल तक वह चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.
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क्या था यह अध्यादेश?
मनमोहन सरकार की ओर से लाए गए इस अध्यादेश की कॉपी राहुल गांधी ने फाड़ दी थी. यह अध्यादेश दोषी सांसदों को सीट बचाने के लिए 3 महीने की मोहलत देता है. सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला उनके सांसद पद के लिए काल बन सकता है. अध्यादेश इसी आदेश के खिलाफ लाया जा रहा था.
क्या कहता यह कानून?
जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसद और विधायक को किसी केस में 2 साल से ज्यादा की सजा हो जाए तो उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी. सजा खत्म होने के 6 साल बाद तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकता है. राहुल गांधी पर यही कानून लागू हुआ है.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ आया था अध्यादेश
यह अध्यादेश साल 2013 सिंतबर में आया था. यूपीए सरकार ने आदेश पारित किया था. जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था कि दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी. कांग्रेस के इस अध्यादेश पर बीजेपी, लेफ्ट समेत कई विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस को बुरी तरह घेरा था. राहुल गांधी ने अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी.
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'राहुल गांधी ने 2013 में नहीं फाड़ा होता ये बिल तो बच जाती सांसदी', जानें पूरी बात