डीएनए हिंदीः कुतुब मीनार परिसर में पूजा की अनुमति देने संबंधी मूल याचिका पर दिल्ली की साकेत कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता महेन्द्र प्रताप की अर्जी पर नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कुतुबमीनार परिसर में पूजा की इजाजत देने के मांग पर पुनर्विचार याचिका डाली गई थी. याचिका में पूजा और मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की गई है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी.
क्या है मामला?
दिल्ली के कुतुब मीनार को लेकर लगातार विवाद जारी है. हिंदू संगठन ने याचिका दायर की है कि कुतुब मीनार को 27 हिंदू देवी-देवताओं और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है. इसलिए इसमें पूजा करने की अनुमति दी जाए. याचिका में कुतुबमीनार को विष्णु स्तंभ बताया गया है. याचिका में इस मंदिर के जीर्णोद्वार की मांग की गई है. एएसआई ने मंदिर होने के दावे को खारिज किया है. एएसआई के एडवोकेट सुभाष गुप्ता ने कहा था कि अदालत के आदेश से छेड़छाड़ का कोई आधार नहीं है. कोर्ट में इसके मालिकाना हक को लेकर एक नई याचिका दायर हो गई है. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि जब तक मालिकाना हक के मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता, तब तक पूजा की अनुमति देने वाली याचिका पर फैसला नहीं दिया जा सकता है.
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याचिका में क्या की गई मांग
हिंदू पक्ष की ओर से दलील दी गई है कि कुतुब मीनार के भीतर बनी मस्जिद हिन्दू और जैन धर्म के 27 मंदिरों को तोड़ कर बनाई गई है. याचिका में कहा गया है कि वहां फिर से मूर्तियां स्थापित करत पूजा पाठ करने की इजाजत दी जाए. यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष भगवान गोयल ने दावा किया था कि कुतुब मीनार ‘विष्णु स्तम्भ’ है जिसे 'महान राजा विक्रमादित्य' ने बनावाया था.
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पर्यटन विभाग ने क्या कहा?
दिल्ली पर्यटन विभाग के अनुसार, कुतुब मीनार 73 मीटर ऊंची जीत की मीनार (टावर ऑफ विक्टरी) है, जिसे दिल्ली के अंतिम हिंदू साम्राज्य की हार के तुरंत बाद कुतुब-उद-दीन ऐबक ने साल 1193 में बनवाया गया था. हालांकि साकेत कोर्ट ने कुतुब मीनार से गणेश की दो मूर्तियों को हटाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की थी. इस मामले में कोर्ट ने कहा कि हम अपील करने वाले की चिंता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
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कुतुब मीनार मामले में दिल्ली की अदालत ने ASI को जारी किया नोटिस, 21 नवंबर को होगी अगली सुनवाई