Quadrantids meteor shower: 2024 की शुरुआत एक शानदार खगोलीय घटना के साथ होगी, क्योंकि क्वाड्रंटिड्स उल्कापात 3 और 4 जनवरी को अपने चरम पर पहुंचेगा. यह साल का पहला और सबसे तेज उल्कापात हो सकता है, जो रात के आसमान को अपनी रंगीन रोशनी से रोशन करेगा. जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह द्वारा छोड़े गए धूल कणों से गुजरती है, तो ये कण वायुमंडल में प्रवेश करते हैं और घर्षण के कारण जलने लगते हैं, जिससे आसमान में चमकती रोशनी की धारियां बनती हैं. इसे लोग 'टूटते तारे' के रूप में पहचानते हैं.
इंदिरा गांधी तारामंडल करेगा खास आयोजन
लखनऊ के इंदिरा गांधी तारामंडल ने इस खूबसूरत खगोलीय घटना को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए खास इंतजाम किए हैं. तारामंडल के सीनियर वैज्ञानिक अधिकारी सुमित श्रीवास्तव के अनुसार, यहां टेलीस्कोप लगाए जाएंगे, ताकि लोग इस अद्भुत दृश्य का आनंद ले सकें. सुमित श्रीवास्तव ने बताया, 'क्वाड्रंटिड्स का नाम नक्षत्र 'क्वाड्रंस मुरालिस' से लिया गया है और इसे बूटिड्स भी कहा जाता है.
क्यूं होते हैं उल्कापात?
उल्कापात तब होता है जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह के छोड़े गए मलबे से गुजरती है. जब ये धूल कण वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो घर्षण की वजह से गर्म होकर जलने लगते हैं और यह जलती हुई रोशनी आकाश में उल्काओं के रूप में दिखती है. यह नजारा रात और सुबह के शुरुआती घंटों में सबसे स्पष्ट दिखाई देता है.
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नासा का सुझाव
नासा के मुताबिक, इस उल्कापात के दौरान प्रति घंटे लगभग 120 उल्काएं दिखाई दे सकती हैं. नासा ने इस खूबसूरत नजारे का पूरा मजा लेने के लिए शहर की रोशनी से दूर खुले स्थानों पर जाने की सलाह दी है.
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साल की शुरुआत में आसमान में होगी टूटते तारों की बरसात, जानें कब और कहां दिखेगा ये अद्भुत नजारा