डीएनए हिंदी: अलग-अलग खेलों में अक्सर खिलाड़ियों की उम्र को लेकर विवाद हो जाते हैं. कई ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें खिलाड़ी अपनी वास्तविक उम्र छिपा लेते हैं. ज्यादा उम्र के खिलाड़ी अपनी उम्र कम दिखाते हैं और 20-22 साल के होने के बावजूद अंडर-19 में भी खेलते हैं. इस तरह की गड़बड़ियों को दूर करने के लिए पंजाब सरकार ने अहम फैसला लिया है. भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार ने जन्म प्रमाण पत्र की शर्त खत्म कर दी है. अब स्कूल रिकॉर्ड के आधार पर ही खिलाड़ियों की उम्र तय की जाएगी.
पंजाब सरकार ने अलग-अलग स्तर पर होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में उम्र को लेकर होने वाले विवाद को रोकने के लिए यह फैसला लिया है. कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें खिलाड़ियों ने एक-दो असफलताओं के बाद दोबारा कम उम्र वाली प्रतियोगिताओं में खेलने के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाकर अपनी उम्र कम दिखाई. पंजाब में भी यह समस्या काफी आम है. इसी का हल निकालने के लिए पंजाब सरकार ने यह फैसला लिया है.
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हर साल सैकड़ों खिलाड़ी करते हैं उम्र की धोखाधड़ी
साल 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल में 400 से ज़्यादा ऐसे खिलाड़ी पकड़े गए जिनकी उम्र निर्धारित सीमा से ज्यादा था. इनमें सबसे ज्यादा 174 खिलाड़ी एथेलेटिक्स और 150 खिलाड़ी फुटबॉल के थे. इसके अलावा, वेट लिफ्टिंग के भी 40 खिलाड़ी ऐसे मिले जिन्होंने अपनी उम्र कम दिखाने के लिए धोखाधड़ी का सहारा लिया. हैरान करने वाली बात यह थी कि इनमें सबसे ज्यादा खिलाड़ी उन प्रदेशों के थे जो राष्ट्रीय खेलों में सबसे ज्यादा पदक जीतते हैं.
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पंजाब में बर्थ सर्टिफिकेट नहीं, स्कूल रिकॉर्ड से तय होगी खिलाड़ियों की उम्र, भगवंत मान सरकार का फैसला