डीएनए हिंदी: विधानसभा से पारित विधेयकों को मंजूरी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को भूमिका पर अहम टिप्पणी की है. पंजाब सरकार बनाम राज्यपाल के इस विवाद में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यपालों को थोड़ा आत्मावलोकन करना चाहिए और यह समझना चाहिए कि उन्हें जनता नहीं चुनती है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिए हैं कि पंजाब विधानसभा से पारित विधेयकों पर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में रिपोर्ट करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपालों को पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राज्यपालों को मामले सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले ही विधेयकों पर कार्रवाई करनी चाहिए. पंजाब के राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया कि राज्यपाल ने उनके पास भेजे गए विधेयकों पर कार्रवाई की और पंजाब सरकार द्वारा दायर याचिका एक गैर जरूरी मुकदमा है. इस बेच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं.
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'सुप्रीम कोर्ट आने से पहले की कार्रवाई करें राज्यपाल'
बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा, 'राज्यपालों को मामला सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले ही कार्रवाई करनी चाहिए. इसे खत्म करना होगा कि राज्यपाल तभी काम करते हैं जब मामला सुप्रीम कोर्ट आता है. राज्यपालों को थोड़ा आत्मावलोकन की आवश्यकता है और उन्हें पता होना चाहिए कि वे जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं. सॉलिसिटर जनरल कह रहे हैं कि पंजाब के राज्यपाल ने कार्रवाई की है और एक रिपोर्ट कुछ दिन में पेश की जाएगी. याचिका को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें और अदालत को राज्यपाल द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में बताएं.'
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की है. बता दें कि पंजाब के राज्यपाल का मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर टकराव है. राज्यपाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिखने के कुछ दिनों बाद उन्हें भेजे गए तीन में से दो विधेयकों को 1 नवंबर को अपनी मंजूरी दे दी थी. इस पत्र में उन्होंने कहा था कि विधेयकों को विधानसभा में पेश करने की अनुमति देने से पहले वह सभी प्रस्तावित कानूनों की गुण दोष के आधार पर जांच करेंगे. दरअसल, विधानसभा में धन विधेयक पेश करने के लिए राज्यपाल की मंजूरी की जरूरत होती है.
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बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक- 2023 और भारतीय स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक-2023 को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल ने 19 अक्टूबर को मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में तीन धन विधेयकों को अपनी मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने पंजाब राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक-2023, पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक- 2023 और भारतीय स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक- 2023 को मंजूरी नहीं दी थी जिन्हें 20-21 अक्टूबर के विधानसभा सत्र के दौरान सदन में पेश किया जाना था. राज्यपाल ने विधानसभा के 20-21 अक्टूबर के सत्र को अवैध बताया था और कहा था कि इस सत्र में किया गया कोई भी विधायी कार्य गैर-कानूनी होगा.
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विधेयक पास नहीं कर रहे थे राज्यपाल, SC ने कहा, 'गवर्नर को जनता नहीं चुनती'