बच्चों के यौन शोषण सामग्री (Child Sexual Abuse Material) से जुड़े मामलों में पंजाब पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने सख्त कार्रवाई करते हुए फाजिल्का जिले के रामसरा निवासी विजयपाल को गिरफ्तार किया है. इस मामले में 54 अन्य संदिग्धों की भी पहचान की गई है, जो ऑनलाइन प्लेटफार्मों के जरिए बच्चों के यौन शोषण सामग्री को देखने, रखने और आगे भेजने में संलिप्त पाए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां की जा सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की गई कार्रवाई
इस संदर्भ में पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने गुरुवार को बताया कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों के आधार पर की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये साफ कहा था कि बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री को देखना, अपने पास रखना, उसे आगे भेजना और इस संबंध में रिपोर्ट न करना भी एक दंडनीय अपराध है. ये सभी अपराध प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (POCSO) एक्ट के तहत आता है. डीजीपी के अनुसार, रामसरा निवासी विजयपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसके पास से कई इलेक्ट्रॉनिक सामाग्री भी जब्त की गई है. इन उपकरणों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने और कौन-कौन सी आपत्तिजनक सामग्री का आदान-प्रदान किया है.
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कई अन्य संदिग्धों पर नजर, जल्द होगी कार्रवाई
साइबर क्राइम डिवीजन की एडीजीपी वी. नीरजा ने बताया कि पंजाब में इस तरह की यह पहली बड़ी कार्रवाई है. पुलिस की कई टीमों ने अब तक कुल 39 उपकरण जब्त किए हैं और इन्हें भी फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. नीरजा ने कहा कि आने वाले दिनों में अन्य संदिग्धों पर भी शिकंजा कसा जाएगा.
होम मिनिस्ट्री के इनपुट पर कार्रवाई
एडीजीपी नीरजा ने बताया कि बच्चों के यौन शोषण सामग्री से जुड़े मामलों की निगरानी के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (NCMEC) सक्रिय रूप से काम कर रहा है. यह संस्था इस तरह की सामग्री देखने, रखने और आगे भेजने वाले संदिग्धों का आईपी एड्रेस, डिवाइस, मोबाइल नंबर और लोकेशन रिकॉर्ड करती है और इस सूचना को सीधे मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को भेजती है. वहां से यह जानकारी विभिन्न राज्यों की साइबर क्राइम टीमों को दी जाती है. जिसके बाद स्थानीय प्रशाशन आगे की कार्रवाई करती है.
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पॉक्सो एक्ट और आईटी एक्ट के तहत अपराध
गिरफ्तार आरोपी पर पॉक्सो एक्ट की धारा 15 और आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री के निर्माण, वितरण और प्रचार पर प्रतिबंध लगाता है. इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होने की संभावना जताई जा रही है.
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