डीएनए हिंदी: देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) का आज कार्यकाल खत्म हो रहा है और कल नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी. ऐसे में आज राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम अपना आखिरी संबोधन दिया है. इसके साथ ही उन्होंने इस दौरान खुद के समर्थन के लिए समाज के सभी वर्गों का धन्यवाद दिया है.
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा है कि भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि इसमें हर नागरिक अपनी निष्ठा को प्रकट कर सकता है. जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को मेरा शत-शत नमन है. इसके साथ ही भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना ही भारतीय संस्कृति की विशेषता है.
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युवाओं के लिए विशेष संदेश
राष्ट्रपति ने देश की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को प्रेरित किया और कहा, "मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गाँव या नगर तथा अपने विद्यालयों तथा शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहें. 19वीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए. देशवासियों में नई आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे. अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है."
इस दौरान राष्ट्रपति ने देश के स्वतंत्रतासेनानियों को याद करते हुए कहा है कि तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुकर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक – ऐसी अनेक विभूतियों का केवल एक ही लक्ष्य के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में अन्यत्र नहीं देखा गया है.
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राष्ट्रपति ने कहा, "संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता, दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर तथा सुचेता कृपलानी सहित 15 महिलाएं भी शामिल थीं. संविधान सभा के सदस्यों के अमूल्य योगदान से निर्मित भारत का संविधान, हमारा प्रकाश-स्तम्भ रहा है."
मजबूत है भारतीय लोकतंत्र
राष्ट्रपति ने भारतीय लोकतंत्र का सम्मान और उसकी ताकत का जिक्र करते हुए कहा कि कानपुर देहात जिले के परौंख गांव में एक बेहद साधारण परिवार में पले-बढ़े होने के बावजूद वह एक राष्ट्रपति के तौर पर देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं. इसके लिए मैं देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत को सलाम करता हूं. गौरतलब है कि रामनाथ कोविंद मूल रूप से कानपुर देहात के ही रहने वाले हैं.
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याद किया अपना कानपुर दौरा
रामनाथ कोविंद ने इस दौरान अपने कानपुर दौरे का उल्लेख किया. उन्होंने कहा, राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना और मेरे कानपुर स्कूल में बुजुर्ग शिक्षकों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पैर छूना हमेशा मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में से एक होगा. अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है. मैं युवा पीढ़ी से अनुरोध करूंगा कि वे अपने गांव या कस्बे और अपने स्कूलों और शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को जारी रखें.
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