डीएनए हिंदी: देश की राजनीति में लगातार विपक्षी नेतृत्व की बातें हो रही हैं. वहीं  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) इसको लेकर विपक्षी दलों का केंद्र बने हुए हैं. वहीं राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) नीतीश पर हमलावर है. पीके ने अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने नीतीश की विपक्षी नेताओं के साथ हुई बातचीत का मखौल उड़ाते हुए कहा है कि चार नेताओं से मिलने से, उनके साथ चाय पीने से जनता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस मुलाकात से आपके चुनाव लड़ने की क्षमता, आपकी विश्वसनीयता या एक नया नैरेटिव बनाने के संदर्भ में क्या फर्क पड़ेगा? कुछ नहीं. 

दरअसल, प्रशांत किशोर ने बिहार में नीतीश का बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन में जाने को लेकर कहा कि यह राज्य आधारित घटना है. उन्होंने कहा है कि इसका राष्ट्रीय राजनीति पर कोई खास फर्क पड़ने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में पहले महागठबंधन की सरकार थी अब एनडीए की सरकार है लेकिन उसका असर बिहार पर तो पड़ा नहीं.

Uttar Pradesh को सात सालों में मिला 3,200 करोड़ का एफडीआई, दो दर्जन से ज्यादा देश कर रहे निवेश

ऐसे नहीं होती विपक्षी एकता

प्रशांत किशोर ने नीतीश के दौरे के राजनीतिक मायनों को लेकर कहा,"नीतीश जी के दिल्ली दौरे के जबरदस्ती मायने निकाले जा रहे हैं लेकिन इस घटना का राष्ट्रीय राजनीति पर मैं कोई असर नहीं देखता." उन्होंने कहा, "2015 के महागठंधन को जनता ने वोट दिया था. आज जनता ने उन्हें जिताया नहीं है आपने पर्दे के पीछे एक फॉर्मेशन बना लिया. दोनों की चीजों काफी फर्क हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह फॉर्मेशन पूरे देश में लागू होगा."

फेवीकोल और नीतीश की कुर्सी

चुनावी रणनीतिकार ने महागठबंधन सरकार को लेकर कहा कि नीतीश कुमार जिस समझदारी से मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं, यह 10 साल में छठा फॉर्मेशन है और इसमें एक बात कॉमन है और वह है नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बने रहना. वो कुर्सी है जो जाती नहीं है. फेवीकोल का जोड़ भले टूट जाए लेकिन कुर्सी और नतीशीजी का जोड़ टूटेगा नहीं. 

Hemant Soren के भाई बसंत सोरेन की भी जाएगी विधायकी? चुनाव आयोग ने भेजी रिपोर्ट, राज्यपाल लेंगे फैसला

कल तक बीजेपी के साथ थे नीतीश

प्रशांत किशोर ने पीएम मोदी के साथ उनके लगाव को लेकर कहा, "नीतीश जी कल तक बीजेपी के पक्ष में थे. पीएम मोदी को महामानव बता रहे थे. उन्हें 90 डिग्री पर छुककर नमस्कार कर रहे थे. वे आने कार्यकाल में ज्यादातर समय बीजेपी के साथ रहे हैं. अब एक महीने के बाद वह बीजेपी के खिलाफ लोगों को एकजुट कर रहे हैं. ऐसे में जब वह विपक्षी दल के नेताओं के पास जा रहे हैं तो लोगों में यह जिज्ञासा होगी कि वह आखिर किन वजहों से बीजेपी को छोड़कर आए हैं. विपक्ष में वह अपनी क्या भूमिका देखते हैं."

प्रशांत किशोर ने अरविंद केजरीवाल और केसीआर से नीतीश कुमार की मुलाकात पर तंज कसते हुए कहा है कि छोटे दलों की अपने क्षेत्र में भूमिका हो सकती है लेकिन राष्ट्रीय राजनीति पर उनके एकजुट होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बिना सोच समझी रणनीति, एक संगठन या संगठन का स्वरूप, विपक्ष के विश्वसनीय चेहरे और किसी नैरेटिव के बिना तो इस तरह की मुलाकात का कोई असर नहीं होगा." 

AAP के लिए ब्रह्मास्त्र बनी फ्री पॉलिटिक्स, हिमाचल में भी यही दांव, क्या है अरविंद केजरीवाल की अगली रणनीति?

कई नेताओं से मिले थे नीतीश

गौरतलब है कि हाल ही में पीके को नीतीश ने राजनीति में छोटा खिलाड़ी बताया था जिसके बाद पीके ने कहा था कि वे 6 महीने बाद ये बताएंगे कि आखिर वे कितने पानी में हैं. दूसरी ओर नीतीश कुमार बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद लगातार विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं. उन्होंने केसीआर से लेकर अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी जिसके चलते यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश विपक्षी दलों की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार हो सकते हैं.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Prashant Kishor has big taunt Nitish Kumar saying sitting together drinking tea does lead opposition unity
Short Title
Prashant Kishor का नीतीश कुमार पर बड़ा तंज
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Prashant Kishor has big taunt Nitish Kumar saying sitting together drinking tea does lead opposition unity
Date updated
Date published
Home Title

Prashant Kishor का नीतीश कुमार पर बड़ा तंज, बोले- साथ बैठकर चाय पीने से नहीं होती विपक्षी एकता