डीएनए हिंदी: आज कैबिनेट बैठक में सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को 3 महीने और जारी रखने का फैसला किया है. आगामी तीन महीने में इस पर करीब 40,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. अब तक सरकार इस पर 3.8 लाख करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. वहीं बजट के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध से बदले हालातों में सरकार के मौजूदा बजट पर 3 लाख करोड़ का भार और बढ़ चुका है. ऐसे में जानते हैं कि सरकार इस योजना के लिए फंड जुटाने के बारे में क्यों आश्वस्त है?
क्या है PMGKAY योजना ?
इस योजना के तहत हर एक राशनकार्ड धारी परिवार यानी करीब 80 करोड़ लोगों को उसके निर्धारित कोटे के अतिरिक्त 5 किलो मुफ्त राशन दिया जाता है. इसका मतलब है कि हर परिवार को दोगुना राशन मिल जाता है. इस योजना के जरिए सरकार अब तक 1,003 लाख मीट्रिक टन खाद्यान का वितरण कर चुकी है.
PMGKAY पर इस साल 1.2 लाख करोड़ खर्च
इस साल के बजट में कोविड के बाद शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया था.
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बावजूद इसके सरकार ने बजट के बाद 26 मार्च, 2022 में इसे 6 महीने और जारी रखने की घोषणा की थी. उस वक्त सरकार ने बताया था कि ये योजना 6 महीने और जारी रखने पर करीब 80,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे. अब जब सरकार ने इसे तीन महीने और आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है तो इस पर करीब 40,000 करोड़ और खर्च होने का अनुमान है. PMGKAY पर तीन साल में अब तक 3.8 लाख करोड़ का खर्च वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार ने इस पर कुल 2.6 लाख करोड़ रुपये का खर्चा किया था. मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने PMGKAY को पहले 6 महीने और अब 28 सितंबर को हुई कैबिनेट बैठक में इसे 3 महीने का विस्तार देने की घोषणा की गई है. इस तरह अब तक इस योजना पर कुल खर्च 3.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा.
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बजट से इतर सरकार पर 3.36 लाख करोड़ रुपये का बोझ
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से खाद की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली. किसानों पर इस बढ़ी कीमत का असर ना हो इसके लिए सरकार ने खाद-सब्सिडी बढ़ाने का फैसला लिया. इस फैसले की वजह से सरकार के खजाने पर 1.10 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. इसके अलावा सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) कम की थी. इससे सरकार को इस वित्त वर्ष के दौरान 1 लाख करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा. इस तरह कुल मिलाकर अब तक 3.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ चुका है.
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इस साल (2022-23) के बजट में सरकार ने 6.4% बजट घाटे का अनुमान लगाया था. इस वजह से 260 लाख करोड़ रुपये की GDP में 16.61 लाख करोड़ रुपये का बजट घाटा रहने की आशंका है. ऐसे में राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) के 20 लाख करोड़ के पार पहुंचने की आशंका है.
कहां से आएगा योजना के लिए फंड?
आयकर विभाग ने बताया है कि इस वित्त वर्ष (2022-23) में 17 सितंबर तक 7 लाख करोड़ रुपये का नेट टैक्स क्लेक्शन हो चुका है. ये पिछले साल से 23% ज्यादा है. इस साल के बजट में 14.20 लाख करोड़ रुपये के डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का अनुमान लगाया गया था. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है बजट से ज्यादा टैक्स संग्रह होगा जिससे बजट घाटे को काबू में रखने में मदद मिलेगी.
सरकार को मिल सकता है चुनावी फायदा!
इस साल बजट में सरकार ने इसकी घोषणा नहीं की थी. लेकिन चुनाव जीतने के बाद सरकार ने रूस और यूक्रेन की लड़ाई के कारण बदली वैश्विक परिस्थितियों में भी इसे जारी रखने का फैसला किया था. माना जाता है कि यूपी चुनाव के दौरान गरीब को राशन देने वाली इस योजना का बीजेपी को काफी लाभ मिला था. अभी अगले तीन महीनों में गुजरात और हिमाचल के चुनाव होने हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इन दोनों राज्यों के चुनावों में भी सरकार को इसका लाभ मिलेगा.
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