लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के लिए पीएम मोदी खुद चुनाव प्रचार में जुट गए हैं. पीएम रोज एक से ज्यादा रैलियां कर बीजेपी (BJP) और एनडीए समर्थकों के लिए वोट मांग रहे हैं. चुनाव प्रचार में पीएम अपनी पुरानी चिर-परिचित शैली में ही नजर आते हैं. कांग्रेस के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार से लेकर विपक्षी दलों में मौजूद परिवारवाद पर निशाना साधते नजर आ रहे हैं. पीएम अपने भाषणों में राम मंदिर का जिक्र कर रहे हैं, लेकिन इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर जोर-शोर से नहीं बता रहे हैं.
कांग्रेस का भ्रष्टाचार ही मोदी के निशाने पर
पीएम (PM Narendra Modi) के भाषण में अभी भी अपनी उपलब्धियों के साथ कांग्रेस का भ्रष्टाचार और परिवारवाद अभी भी प्रमुख मुद्दा हैं. जनवरी में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूरे देश में बीजेपी ने इसे मोदी सरकार की उपलब्धि के तौर पर पेश किया था. हालांकि, चुनाव नजदीक आने के बाद से अब राम मंदिर के बजाय पीएम और बीजेपी का पूरा फोकस कांग्रेस की नीतियां, भ्रष्टाचार ही बन गए हैं. समझें इसके पीछे के मायने.
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कांग्रेस के कुशासन बनाम मोदी सरकार का सुशासन
पीएम मोदी अपने भाषणों में कांग्रेस के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर देश को संदेश देना चाहते हैं कि कैसे बीजेपी के 10 साल के शासन में अब तक भ्रष्टाचार के मामले नहीं हुए हैं. बीजेपी की रणनीति कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के कुशासन के जवाब में बीजेपी का सुशासन दिखाने की है. पीएम अपने भाषण में क्षेत्रीय दलों के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाना नहीं भूलते हैं. बंगाल में ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण के साथ ही वह करप्शन के मामलों को भी जोर-शोर से उठा रहे हैं.
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लाभार्थी योजनाओं के जरिए सबको साधने की कोशिश
बीजेपी और आरएसएस केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने के महत्वाकांक्षी इरादे के साथ ये चुनाव प्रचार कर रही है. पीएम मोदी ने 400 पार का नारा देकर अपनी सोच भी स्पष्ट कर दी है. ऐसे में राम मंदिर का जिक्र करने के बजाय जोर-शोर से केंद्र सरकार की लाभार्थी योजनाओं का हवाला दिया जा रहा है. फ्री राशन, आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से बीजेपी की कोशिश उत्तर के साथ दक्षिण के राज्यों के कमजोर वर्गों को भी अपने साथ जोड़ने की है. राम मंदिर का भावनात्मक मुद्दा उत्तर भारत में ही तुलनात्मक रूप से ज्यादा ज्वलंत है.
विपक्ष की ताकत भी दक्षिण के राज्यों केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में ही दिख रही है. बीजेपी की कोशिश इस बार दक्षिण में विपक्ष के वर्चस्व को चुनौती देने के साथ वोटों और सीटों में सेंध लगाने की है. इन सब वजहों को देखकर बहुत ही सधी रणनीति के साथ बीजेपी ने राम मंदिर और रामलला के बजाय दूसरे मुद्दों को उठाना शुरू किया है.
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भ्रष्टाचार पर वार और परिवारवाद पर निशाना, PM Modi क्यों उठा रहे पुराने मुद्दे