डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और इस विरासत को मजबूत करना था, इस देश का एकता सूत्र बनाना था, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय में काशी-तमिल संगमम का शनिवार को उद्घाटन करने के लिए वाराणसी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें आजादी के बाद हजारों वर्षों की परंपरा और इस विरासत को मजबूत करना था, इस देश का एकता सूत्र बनाना था, लेकिन दुर्भाग्य से इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए. काशी तमिल संगमम इस संकल्प के लिए एक प्लेटफॉर्म बनेगा और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा.
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे पास दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है. आज तक ये भाषा उतनी ही लोकप्रिय है. ये हम 130 करोड़ देशवासियों की जि़म्मेदारी है कि हमें तमिल की इस विरासत को बचाना भी है, उसे समृद्ध भी करना है. हमें अपनी संस्कृति, अध्यात्म का भी विकास करना है. मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु का प्राचीन काल से संबंध हैं. इसका प्रमाण काशी की गलियों में मिलेगा. यहां आपको तमिल संस्कृति के मंदिर मिलेंगे. हरिश्चंद्र घाट और केदार घाट पर 200 से ज्यादा वर्ष पुराना मंदिर है.
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उन्होंने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों ही संस्कृति और सभ्यता के कालातीत केंद्र हैं. दोनों क्षेत्र संस्कृत और तमिल जैसी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं के केंद्र हैं. मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं. एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है. काशी-कांची के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है, तो दूसरी और, भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र, हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है. ये संगम भी गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है.
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पीएम मोदी ने कहा- हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है. नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों-विचारधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाजों-संस्कृतियों के संगम का हमने जश्न मनाया है. इसलिए काशी तमिल संगमम अपने आप में विशेष है, अद्वितीय है.
पीएम मोदी ने कहा कि काशी और तमिलनाडु दोनों संगीत, साहित्य और कला के स्त्रोत हैं. काशी में बनारसी साड़ी मिलेगी तो कांचीपुरम का सिल्क पूरे विश्व में मशहूर है. तमिलनाडु संत तिरुवल्लुवर की पुण्य धरती है. दोनों ही जगह ऊर्जा और ज्ञान के केंद्र हैं. आज भी तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का जिक्र होता है. यह तमिलनाडु के दिलों में अविनाशी काशी के प्रति प्रेम है. यही एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना है जो प्राचीन काल से अब तक अनवरत बरकरार है.
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