डीएनए हिंदी: देश डिजिटल क्रांति (Digital Revolution) के नए दौर से गुजर रहा है. जिसके हाथ में स्मार्टफोन है, उसके हाथ में चलता-फिरता एटीम (ATM) है. देश में पेमेंट का तरीका बदला है. लोग कैश में ट्रांजैक्शन की जगह BHIM UPI, पेटीएम (Paytm), फोन पे (Phonepe) जैसे ऑनलाइन ऐप्स (Online Banking Apps) के जरिए रुपये का लेन-देन करते हैं. लोग दूसरे बैंकिंग ऐप्स का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. यह क्रांति एक दिन में नहीं आई है. अगर हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को देखें तो 2014 से लेकर अब तक देश में डिजिटिल पेमेंट्स को लेकर क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं. आइए समझते हैं ये बदलाव कैसे लोगों की जिंदगी बदल रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में एक जिला है सिद्धार्थनगर. यह वही जगह है जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी चुनाव से ठीक पहले एकसाथ 9 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया था. यहीं पुलिस लाइंस के पास सृष्टि पांडेय एक ठेले पर एक छोटी सी चाय की दुकान चलाती हैं. दुकान का नाम है SDR वाली चाय. पूरा नाम, सिद्धार्थनगर वाली चाय. सिद्धार्थनगर यूपी के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है. यहां न तो कोई इंडस्ट्री है, न ही टिपिकल शहर वाली मानसिकता पनपी है. जिला मुख्यालय पर भी पहुंचकर यही लगेगा कि गांव-देहात से अलग यह नहीं है लेकिन डिजिटल पेमेंट से अनजान ये शहर भी नहीं है.
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सृष्टि पांडेय बताती हैं, ऐसी जगह भी युवा कैश पेमेंट की जगह ऑनलाइन भुगतान को वरीयता देने लगे हैं. सृष्टि यह भी बताती हैं कि अगर दिनभर में 1,000 रुपये की वह चाय बेच पाती हैं तो उसमें से 300 से ज्यादा की रकम ऑनलाइन ही पे कर देते हैं. ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल का इस्तेमाल युवा, प्रौढ़ और बुजुर्ग आबादी धड़ल्ले से कर रही है. यह हाल सिद्धार्थनगर जैसे पिछड़े जिले का है.
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गांव से लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक, डिजिटल पेमेंट से किसी को नहीं है परहेज
पत्रकारिता के दिग्गज शिक्षण संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के ठीक सामने वर्मा जी की गुमटी है. उनकी चाय की दुकान छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय है. यहां भी संस्थान के छात्र चाय पीने आते हैं. इनका भी कहना है कि अब ज्यादातर लोग ऑनलाइन ही भुगतान कर रहे हैं.
छोटे शहरों से लेकर महानगरों तक कैश पेमेंट का तरीका बदल गया है. लोग ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था, उसके बाद बैंकों और एटीएम मशीनों के बाहर भीषण भीड़ उमड़ने लगी थी. तब अचानक से डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल बढ़ गया था. लोग अपने-अपने बैंक अकाउंट्स को डिजिटल पेमेंट सिस्टम से लिंक करने लगे थे. तब से लेकर अब तक डिजिटल ट्रांजैक्शन का दौर चल पड़ा है.
चाय की गुमटी से लेकर पीवीआर और पांच सितारे होटलों तक ऑनलाइन पेमेंट बेहद आम है. स्ट्रीट वेंडर्स से लेकर ई रिक्शा ड्राइवर तक लोग अप पेमेंट कैश में लेने लगे हैं. नरेंद्र मोदी सरकार में डिजिटल क्रांति ने रफ्तार पकड़ी है.
मोदी सरकार में क्या-क्या हुए बदलाव?
नरेंद्र मोदी सकार में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) स्कीम बेहद पारदर्शी रही हैं. मनरेगा मजदूरों की मजदूरी सीधे उनके बैंक अकाउंट्स में पहुंच रही है. पीएम किसान योजना की किश्तें भी लोगों तक पहुंच रही हैं. आवासीय योजनाओं की भी पहुंच लोगों तक बिना किसी बाधा के डिजिटल तरीके से हो रही है. अब लोगों को ग्राम पंचायत प्रधान के जरिए होने वाली धांधली का शिकार नहीं होना पड़ रहा है. ये बदलाव कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक जैसे ही रहे हैं.
भीखारी भी लेने लगे हैं डिजिटल पेमेंट
ऑनलाइन पेमेंट अब सिर्फ दुकानदार और दूसरी जगहों पर ही नहीं होता बल्कि अब भिखारी भी डिजिटल पेमेंट लेने लगे हैं. बिहार में एक भिखारी का वीडियो हाल ही में वायरल हुआ था जो कैस न होने पर डिजिटल पेमेंट लेता है. बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर रहने वाले राजू प्रसाद भीख मांगते हैं. उनके गले में ई-वॉलेट का QR CODE होता है. इनके सामने छुट्टे न होने का बहाना नहीं चलता ये लोगों से ऑनलाइन भीख मांग लेते हैं.
प्रधानमंत्री का 17 सितंबर को है जन्मदिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनका जन्म 17 सिंतबर 1950 को वडनगर में एक गुजराती परिवार में हुआ था. वह आजाद भारत में पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. भारतीय जनता पार्टी पीएम मोदी के जन्मदिन को राष्ट्रव्यापी अभियान में बदलने की तैयारी कर रही है. उनके जन्मदिन का सेलिब्रेशन पार्टी 7 अक्टूबर तक करने वाली है. पीएम मोदी के जन्मदिन पर चलाए जा रहे अभियान को सेवा और समर्पण अभियान नाम दिया गया है.
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मोदी युग में कैसे आई डिजिटल क्रांति? ठेले से पांच सितारा होटल तक बदल गया पेमेंट का तरीका