लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने ज्यादातर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. इस बार सबसे ज्यादा चर्चा में रही सीट पीलीभीत के मौजूदा सांसद वरुण गांधी का टिकट काट दिया गया है. बीजेपी ने वरुण गांधी की जगह पर उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया है. अब चर्चाएं हैं कि वरुण गांधी समाजवादी पार्टी के टिकट पर या फिर निर्दलीय चुनाव में उतर सकते हैं. इस सीट पर पहले ही चरण में चुनाव होने हैं ऐसे में नामांकन की आखिरी तारीख 27 मार्च यानी बुधवार ही है. आइए समझते हैं कि वरुण गांधी के लिए यह सीट इतनी अहम क्यों हो गई है?

1991 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो वरुण गांधी और मनेका गांधी इस सीट पर 1989 से अब तक जीतते आ रहे हैं. मनेका गांधी इस सीट से कुल 6 बार सांसद बनी हैं तो वरुण गांधी दो बार चुनाव जीत चुके हैं. मनेका गांधी दो बार जनता दल से, दो बार निर्दलीय और दो बार बीजेपी की सांसद रही हैं. 1991 के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार रहे डॉ. परशुराम गंगवार ही इकलौते ऐसे सांसद बने जिन्होंने पीलीभीत सीट पर मनेका गांधी को चुनाव हरा दिया.


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क्यों कट गया टिकट?
एक समय पर कट्टर हिंदुत्व छवि वाले वरुण गांधी ने खुद को काफी हद तक बदला है. अब वरुण गांधी की चर्चा पढे़-लिखे और बौद्धिक तौर पर समृद्ध सांसदों में होती है. वह किसानों के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरते रहे हैं. कई बार वह उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ भी लेख लिख चुके हैं. कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के साथ ही वरुण गांधी हाथिए पर चले गए जबकि 2017 में वह खुद मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक थे.

क्या है पीलीभीत का गणित?
साल 2019 में सपा-बसपा के गठबंधन के बावजूद वरुण गांधी ढाई लाख से ज्यादा वोटों से इस सीट पर जीते थे. 2014 और 2009 में भी क्रमश: मनेका गांधी और वरुण गांधी लगभग इतने ही अंतरों से जीतते रहे हैं. मौजूदा समय में पीलीभीत की पांच विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी का कब्जा है और एक पर सपा जीती है. बसपा ने अपने पुराने नेता अनीस अहम खान को एक बार फिर चुनाव में उतारा है. वहीं, सपा ने भगवत शरण गंगवार को टिकट दिया है.


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2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 12 लाख वोट डाले गए थे. इसमें से 59 प्रतिशत से ज्यादा वोट वरुण गांधी को मिले थे. इस लोकसभा सीट पर लगभग ढाई लाख कुर्मी मतदाता हैं और लगभग 30 फीसदी मुस्लिम वोट है. सपा ने इसी को ध्यान में रखते हुए भगवत शरण गंगवार को टिकट दिया है ताकि वह M+Y समीकरण को साथ सके. हालांकि, पिछले दो चुनाव में कुर्मी उम्मीदवार ही नंबर दो पर रहे हैं और वरुण या मनेका गांधी को हरा नहीं पाए हैं.

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Pilibhit Lok Sabha: 3 दशक, मां-बेटे की कसक, वरुण गांधी के लिए इतना अहम क्यों है
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