Patna High Court: बिहार सरकार के आरक्षण बढ़ाने के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने नकार दिया है. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से 65 प्रतिशत करने के नीतीश सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है.
11 मार्च को हो गया था फैसला
याचिकाकर्ता गौरव कुमार और अन्य याचककर्ताओं द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर कोर्ट ने फैसला 11 मार्च को सुरक्षित रख लिया था. आज 20 जून (गुरूवार) के दिन पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. बता दें कि बिहार में पहले से ही आरक्षण 50 प्रतिशत हो चुका है.
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सबसे ज्यादा सामान्य वर्ग के पास नौकरी
वर्तमान में बिहार में लगभग सबसे कम आबादी सामन्य वर्ग के लोगों की है. लेकिन बिहार सरकार में सबसे ज्यादा नौकरी इसी वर्ग के पास है. बिहार सरकार ने विधानसभा में एक रिपोर्ट पेश की थी इस रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान बिहार में की आबादी का 15 फीसदी सामान्य आबादी है. जिसमे से लगभग सबसे ज्यादा 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं.
बिहार में सबसे कम अनुसूचित जनजाति
वहीं दूसरी 63 फीसदी आबादी वाला पिछड़े वर्ग है. पिछड़ा वर्ग के पास कुल 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं. बात सबसे कम एक प्रतिशत से ज्यादा आबादी वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग की करे तो इनके पास 30,164 नौकरियां हैं. बिहार में अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68% है.
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नीतीश सरकार ने किया था विधेयक पेश
दरअसल सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए विधेयक में अनुसूचित जाति (SC) के लिए कोटा 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 1 से 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ी जाति (EBC) के लिए 18 से 25 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए कोटा बढ़ाने की मांग की गई है. इसी मांग को Patna high court ने खारिज कर दिया है.
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Patna HC से नीतीश सरकार को बड़ा झटका, Government Job में 65 प्रतिशत आरक्षण वाला फैसला हुआ रद्द