पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई है. दोनों ने सर्वोच्च अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी, लेकिन इस मामले में उन्हें कोई राहत नहीं मिली है. सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. उन्होंने कहा की पक्ष के वकीलों को मेरा सुझाव था कि इन्हें माननीय अदालत से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए. हालांकि, कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि यह मुफ्त की सलाह है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हलफनामे से संतुष्ट नहीं हैं
बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम दाखिल हलफनामे (Patanjali Misleading Ads Case) से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं.वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बाबा रामदेव की तरफ से दलीलें रखीं. रोहतगी ने कहा कि हम बिना शर्त माफी मांग रहे हैं और अदालत को आश्वासन देते हैं कि आगे ऐसा उल्लंघन नहीं होगा. जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा, 'हमें पिछले हलफनामे में हेरफेर किया गया था. यह बहुत ही गंभीर है. आप कानून को अच्छी तरह से समझते हैं.'
#UPDATE Patanjali's misleading advertisements case: Senior advocate Mukul Rohatgi reads before a bench of Supreme Court Yoga guru Baba Ramdev’s affidavit saying he tenders unconditional and unqualified apology with regard to the issue of advertisement. https://t.co/YOeo5WIUR7 pic.twitter.com/6NPzfvW7Vu
— ANI (@ANI) April 10, 2024
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जस्टिस हिमा कोहली ने लगाई फटकार
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली ने बेहद सख्त टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मजाक बनाकर रख दिया गया है. आयुष मंत्रालय को भी फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि आपने हलफनामे में क्या कहा है? हम इस मामले में इतनी उदारता नहीं बरतना चाहते हैं. समाज को एक संदेश मिलना चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार नहीं की माफी
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पतंजलि का पक्ष रखते हुए कहा कि अदालत 10 दिनों का समय दे और हमें बताए कि आखिर हम क्या कर सकते हैं. कोर्ट ने इस पर कहा कि हम इस मामले में अंधे नहीं हैं. जिस तरीके से अदालत की कार्रवाई के लिए अवमानना दिखाई गई है, उसी तरह से इस माफी को अवमानना के तौर पर क्यों नहीं देखा जाना चाहिए?
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सुप्रीम कोर्ट से बाबा रामदेव को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने स्वीकार नहीं की माफी