22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए सिंधु नदी के पानी को रोक दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं चल सकते. भारत के इस कदम से पाकिस्तान घुटनों पर आ गया है. पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा ने भारत सरकार के चिट्ठी लिखकर सिंधु जल संधि पर विचार करने की अपील की है.
पाकिस्तान ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा कि भारत का यह कदम पाकिस्तान में गंभीर जल संकट पैदा कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने इस पर अभी कोई रिएक्शन नहीं दिया है.
पीएम मोदी ने 12 मई 2025 को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना जिस तरह आंतकवाद को बढ़ावा दे रही है, उससे एक दिन वह खुद तबाह हो जाएगी. पाकिस्तान से अब कोई बात होगी तो वह आतंकवाद और पीओके के मुद्दे पर होगी.
पीएम मोदी के इस बयान से साफ संकेत हैं कि भारत फिलहाल सिंधु जल संधि को बहाल करने के मूड में नहीं है. अगर ऐसा कुछ लंबे समय तक चलता रहा तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका होगा. पाकिस्तान पर यह ड्रोन और मिसाइल से भी गंभीर अटैक है.
#WATCH | Ramban, J&K | Latest Visuals from Ramban's Baglihar Hydroelectric Power Project Dam on the Chenab River, where all gates of the dam are closed.
— ANI (@ANI) May 14, 2025
(Visuals shot at 6.05 pm) pic.twitter.com/JmdaBDO6MT
कब हुआ था सिंधु जल समझौता?
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि सितंबर 1960 तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल अय्यूब खान के बीच कराची में हुआ था. इस समझौते के तहत भारत को सिंधु और उसकी सहायक नदियों से लगभग 20 फीसदी पानी मिलता है, जबकि पाकिस्तान को करीब 80 प्रतिशत पानी का लाभ उठाता है. ऐसे में अगर सिंधु नदी का मुद्दा नहीं सुलझा तो पाकिस्तान सूखा और प्यास से तड़प जाएगा.
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Indus Water Treaty (Image - ANI)
Indus Water Treaty: गला सूखा तो गिड़गिड़ाने लगा पाकिस्तान... भारत से सिंधु जल संधि पर विचार करने की कर रहा अपील