डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) पर हाई कोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका दिया था और आरक्षण रद्द कर दिया था. अब योगी सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. इससे पहले हाई कोर्ट ने आरक्षण रद्द करते हुए एक आयोग का गठन करने का आदेश दिया था. साथ ही, यह भी कहा गया था कि उत्तर प्रदेश के आगामी निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के ही करवाए जाएं.
27 दिसंबर 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के लिए जारी ड्राफ्ट अधिसूचना को खारिज कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस भेजा है. इन सभी पक्षों को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए कहा था कि ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के बिना आरक्षण सूची बनाई गई है इसलिए यह मान्य नहीं है.
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ट्रिपल टेस्ट पर फंस गई थी योगी सरकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले के साथ ही कहा था कि जिन नगर निकायों के कार्यकाल समाप्त हो गए हैं वहां प्रशासनिक अधिकारियों की कमेटी काम करेगी. हाई कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के बिना ही चुनाव करवाने के निर्देश दिए थे. हालांकि, योगी सरकार ने तुरंत ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि ओबीसी आरक्षण देने के लिए एक आयोग बनाया जाए, ट्रिपल टेस्ट का पालन किया जाए.
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यूपी में ओबीसी आरक्षण सत्ताधारी बीजेपी के लिए नाक का सवाल बन गया है. विपक्षी समाजवादी पार्टी आरोप लगा रही है कि बीजेपी तो कभी भी ओबीसी आरक्षण देना ही नहीं चाहती थी. बीजेपी भी जानता है कि ओबीसी वोटबैंक उसके लिए कितना अहम है. 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए वह हर हाल में ओबीसी आरक्षण लागू करने पर तुली हुई है.
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UP Nikay Chunav: ओबीसी आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रोका, योगी सरकार को राहत