यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में सरकार बदलने से क्या अब यमुना को लेकर सभी विवाद सुलझ सकते हैं. जिसमें नदी को प्रदूषण से मुक्त करना और पड़ोसी राज्य हरियाणा को पानी की उचित आपूर्ति सुनिश्चित करना भी शामिल है. शीर्ष अदालत ने 13 जनवरी 2021 को यमुना में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर स्वत: संज्ञान लिया था.
जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ इस मामले में सुनवाई चल रही है. वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा एमिकस क्यूरी के तौर पीठ के सामने पेश हुईं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि दिल्ली और हरियाणा के बीच यमुना के पानी में हिस्सेदारी को लेकर काफी विवाद रहा है.
इस पर जस्टिस गवई ने कहा, 'अब तो सरकार बदल चुकी है. सरकार बदलने से सभी विवाद सुलझ सकते हैं. नदी की सफाई से जुड़ी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है. इन बदली हुई परिस्थितियों में बेहतर कार्यान्वयन संभव हो सकता है.' सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई 4 मार्च को करेगा.
कोर्ट ने कहा कि पहले NGT यमुना की पानी की गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों की निगरानी कर रहा था. साथ ही समय-समय पर आदेश भी दे रहा था. लेकिन जब से सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए यमुना की सफाई पर सुनवाई शुरू की है, एनजीटी ने निगरानी बंद कर अपनी समितियों को भी भंग कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि यमुना ही नहीं बल्कि सभी नदियों की स्थितियों के बारे में भी विचार किया जाएगा. लोगों को स्वच्छ पानी मिलना चाहिए, यह उनका मौलिक अधिकार है.
बेंच ने यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार से बेहतरी की उम्मीद जताई थी. लेकिन केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच चली खींचतान की वजह से यह काम अटका हुआ था. लेकिन अब दिल्ली और केंद्र में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है.
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'अब तो सरकार बदल चुकी...' यमुना प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी