डीएनए हिंदी: India Education Reform- हर स्टूडेंट जब कक्षा 12 पास करता है तो उसका सपना येल यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी या स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी में जाकर विदेशी डिग्री हासिल करने का होता है. अब यह सपना पूरा करने का मौका उन्हें अपने देश की धरती पर ही मिलने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू हुई देश में उच्च शिक्षा सुधार (Higher Education reform) की मुहिम अब एक नए लेवल पर पहुंचने जा रही है. सरकार विदेशी यूनिवर्सिटीज को भारत में अपना कैंपस खोलने और मान्यता प्राप्त डिग्री देने के लिए मंजूरी देने जा रही है. इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ने एक ड्राफ्ट बिल पेश किया है, जिसमें जनता से विदेशी यूनिवर्सिटीज को देश में एंट्री देने को लेकर फीडबैक मांगा गया है.
पहले से ही कुछ यूनिवर्सिटीज ने कर रखा है टाईअप
कुछ विदेशी यूनिवर्सिटीज पहले से ही भारत में अपनी डिग्री मुहैया करा रही हैं. हालांकि अब तक इन यूनिवर्सिटीज को इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूशंस के साथ पार्टनरशिप करनी पड़ती है. इसके बाद स्टूडेंट अपनी डिग्री का कुछ हिस्सा भारतीय संस्थान में पढ़ता है, जबकि बाकी हिस्सा पूरा करने के लिए उसे विदेश जाकर यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ाई करना पढ़ता है. अब नई कवायद के बाद ये विदेशी यूनिवर्सिटीज भारत में अपना ओवरसीज कैंपस सेटअप कर पाएंगी. इसके लिए उन्हें किसी लोकल पार्टनर को साथ जोड़ने की जरूरत नहीं होगी.
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पहली बार होगा देश में यह काम
विदेशी यूनिवर्सिटीज को भारत में अपना कैंपस बनाकर यहां अपने ऑपरेशंस शुरू करने की इजाजत देने का काम पहली बार किया जा रहा है. UGC के ड्राफ्ट बिल के मुताबिक, विदेशी यूनिवर्सिटीज के लोकल कैंपस घरेलू व विदेशी छात्रों के लिए एडमिशन की योग्यता, फीस और स्कॉलरशिप से जुड़े नियम तय कर पाएंगे. ये यूनिवर्सिटीज अपने फैकल्टी और अन्य स्टाफ भर्ती करने के पूरी तरह स्वायत्त होंगे यानी इनके काम में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.
पीएम मोदी ने पेश कराई थी नई शिक्षा नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एजुकेशन का फुल ओवरहॉल करने की कवायद शुरू की थी. इसके लिए उन्होंने देश में नई शिक्षा नीति लागू करने का भी ड्राफ्ट पेश कराया था. इसके तहत शिक्षा से जुड़े कई सुधार किए जा रहे हैं. अब हायर एजुकेशन सेक्टर में भी इस नए ड्राफ्ट के जरिये सुधार की तैयारी की गई है. ये सुधार भारतीय छात्रों को कम खर्च में विदेशी डिग्री हासिल करने का मौका देगा. दूसरी तरफ इस सुधार से भारत एक ग्लोबल स्टडी डेस्टिनेशन के तौर पर भी उभरेगा. इससे विदेशी संस्थानों को भी भारत की युवा आबादी तक अपनी पहुंच बढ़ाने का मौका मिलेगा.
फिलहाल 133 देशों में 101 रैंक पर है शिक्षा में भारत
भारत में शिक्षा के स्तर में सुधार की जरूरत इस कारण पड़ी है कि यहां का स्तर बेहद निचले स्तर पर है. ग्लोबल टेलेंट कॉम्पिटेटिवनेस इंडेक्स 2022 (Global Talent Competitiveness Index 2022) में भारत को 133 देशों में 101वीं रैंक मिली है. यह इंडेक्स टेलेंट ग्रोथ, अटरेक्शन और उसे अपने पास रोके रखने की योग्यता का मानक है. यूजीसी का मानना है कि नए सुधार से भारत में एजुकेशन सेक्टर को ज्यादा कॉम्पिटेटिव बनाने में मदद मिलेगी और इससे कॉलेज पाठ्यक्रम और इंडस्ट्री की असल जरूरत के बीच का अंतर भरने में भी मदद मिलेगी.
पब्लिक के सुझाव के आधार पर बदलेगा ड्राफ्ट
यूजीसी की तरफ से पेश किया गया ड्राफ्ट बिल अब सुझाव देने के लिए आम जनता के पाले में है. आम जनता से इस पर मिलने वाले सुझावों के हिसाब से यूजीसी इसमे बदलाव करेगा. इसके बाद फाइनल मंजूरी के लिए इसे संसद में पेश किया जाएगा. संसद में मंजूर होकर कानून बनने के साथ ही देश में विदेशी यूनिवर्सिटीज के कैंपस बनाए जाने की राह खुल जाएगी.
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