डीएनए हिंदी: देश भर में नवोदय विद्यालयों को अपनी अच्छी गुणवत्ता वाली पढ़ाई के लिए जाना जाता है. इन स्कूलों से निकले बच्चे देश-विदेश में भारत का नाम कर रहे हैं. अब नवोदय विद्यालयों से रिटायर हुए कर्मचारियों की शिकायत है कि उन्हें लंबे समय से पेंशन ही नहीं दी जा रही है. रिटायर्ड कर्मचारियों के संगठन का आरोप है कि 12 हजार से ज्यादा कर्मचारी ऐसे हैं जिनको आज तक कभी पेंशन ही नहीं मिली है. नवोदय के पूर्व छात्रों का संगठन भी उनकी इस मांग में उनके साथ उतर आया है.
इसी के तहत 3 अप्रैल को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक प्रदर्शन भी आयोजित किया गया है. मौजूदा समय में देश में 661 नवोदय विद्यालय हैं. आरोप है कि 1986 से 2003 तक हजारों कर्मचारी नियुक्त हुए लेकिन उनके रिटायर होने पर पेंशन नहीं मिली. इन लोगों को मौखिक रूप आश्वासन दिया जाता रहा.
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पेंशन के लिए तरसे नवोदय के पूर्व कर्मचारी
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन अफसरों ने नवोदय के शिक्षकों और स्टाफ को आश्वासन दिया वे अधिकांशतः आईएएस काडर के अलग-अलग विभागों से डेप्युटेशन पर आए अधिकारी थी. इन्होंने शिक्षकों को मूल पेशन से वंचित कर दिया. तकनीकी खामी के चलते ये शिक्षक, मेस स्टाफ, चपरासी, क्लर्क आदि कर्मचारी जब रिटायर होने शुरू हुए तो इन्हें एक छोटी रकम मिली.
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मौजूदा समय में नवोदय स्कूलों से निकले 400 से ज्यादा छात्र आईएएस, आईपीएस, एआरएस, 2000 से ज्यादा डॉक्टर, 5000 से ज्यादा इंजीनियर और अन्य सेवाओं में हैं. बिहार में 8 एमएलए हैं, तेलंगाना में सांसद हैं, यूपी प्रदेश में एक विधायक और मेघालय में भी एक विधायक नवोदय के पूर्व छात्र हैं. संगठन का कहना है कि देश को इतने प्रतिभाशाली लोग देने वाले नवोदय के गुरुजन और अन्य स्टाफ आज अपनी पेंशन के लिए मोहताज हैं.
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नवोदय स्कूलों से रिटायर हो चुके कर्मचारियों का आरोप, आज तक नहीं मिली पेंशन