डीएनए हिंदी: कश्मीर के चर्चित अलगाववादी नेता मीरवाइज फारूक पिछले चार साल से कश्मीर में नजरबंद थे. उन्हें घर में हाउस अरेस्ट रखा गया था. शुक्रवार को रिहाई के बाद पहली बार वह जामा मस्जिद पहुंचे थे. इस दौरान भारी संख्या में समर्थक उनके स्वागत के लिए पहुंचे और समर्थकों की संख्या देखकर वह भावुक भी हो गए. उपदेश देने से पहले वह काफी भावुक हो गए और समर्थन के लिए सबका शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि अपने पिता की मौत के बाद यह मेरे लिए सबसे मुश्किल दौर था. पिछले 4 साल से मैं नमाज अदा करने के लिए यहां नहीं आ पा रहा था अपने फर्ज पूरे नहीं कर पा रहा था. इस दौरान उन्होंने घाटी के कश्मीरी पंडितों के लिए भी संदेश जारी किया.
मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर के चर्चित अलगाववादी नेता रहे हैं और साल 2019 से उन्हें घर में नजरबंद करके रखा गया था. अपनी रिहाई के बाद जब वह पहली बार जामा मस्जिद पहुंचे तो फूट-फूटकर रोने लगे. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उपदेश सुनने के लिए पहुंचे थे और शुक्रवार का दिन होने की वजह से जुमे की नमाज अदा करने बड़ी संख्या में लोग आए थे. उन्होंन कहा कि यह आप सबकी दुआओं का नतीजा है कि 4 साल बाद मैं फिर से उपदेश दे रहा हूं.
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कश्मीरी पंडितों से की घर वापस लौटने की अपील
4 साल बाद जामा मस्जिद धार्मिक उपदेश देने पहुंचे मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि मैं अपने सभी भाई-बहनों से अपील करना चाहता हूं कि वह शांति बनाए रखें. उन्होंने कश्मीरी पंडितों से घाटी वापस लौटने की अपील करते हुए कहा कि आप हमारे भाई हैं. अपने घर लौटें और हम आपका खुलकर स्वागत करेंगे. उन्होंने कहा कि मुझे लगातार 212 शुक्रवारों के बाद जामा मस्जिद में उपदेश देने की अनुमति दी गई है. मेरे लिए यह क्षण बहुत भावुक है क्योंकि 4 साल बाद मैं अपने फर्ज पूरे कर पा रहा हूं.
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खुद को बताया शांति का समर्थक, लोगों से की भरोसा रखने की अपील
चार साल की नजरबंदी के बाद जब मीरवाइज उमर फारूक जामा मस्जिद पहुंचे तो उनके अंदाज बदले हुए नजर आ रहे थे. कभी वह फफककर रोते दिखे तो कभी दार्शनिक बातें करते नजर आए. उन्होंने कहा कि मैं शांति और अमन का समर्थक हूं. यहां से मेरी आप सबसे अपील है कि शांति बनाए रखें और धैर्य रखें. मैंने हमेशा शांति की वकालत की लेकिन इसके बाद भी मुझे अलगाववादी से लेकर पता नहीं क्या-क्या और कहा गया है. आप सब धैर्य रखें और अल्लाह पर भरोसा रखें.
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4 साल बाद अलगाववादी नेता रिहा, जामा मस्जिद से कश्मीर पंडितों को किया याद