महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Election 2024) नतीजे आने के बाद से प्रदेश की राजनीति में हलचल पहले से तेज हो गई है. मीडिया रिपोर्ट्स में कभी एनसीपी (NCP) के दोनों धड़ों के एक होने का दावा किया जाता है, तो कभी शिवसेना (Shiv Sena) विधायकों के एकनाथ शिंदे के संपर्क में होने की बात कही जा रही है. चुनाव में मिली करारी हार ने महाविकास अघाड़ी (MVA) में जरूर दरार डाल दी है. उद्धव ठाकरे की पार्टी (Shiv Sena UBT) ने बीएमसी चुनाव (BMC Election) में अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
अकले क्यों चले उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी शिवसेना के सामने इस वक्त असमंजस की स्थिति बनी हुई है. विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अघाड़ी में उद्धव खुद को फंसा महसूस कर रहे हैं. इंडिया गठबंधन में उनकी एंट्री शरद पवार के जरिए हुई थी और पवार की भविष्य की राजनीति को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. ऐसी स्थिति में किसी भी तरह की असमंजस से बचने के शिवसेना (यूबीटी) ने बीएमसी (BMC) चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है. नागपुर और मुंबई के लोकल इलेक्शन (बृहन्मुंबई नगरपालिका) में उद्धव अपनी पार्टी और कार्यकर्ताओं के बूथ स्तर तक की मजबूती और वस्तुस्थिति भी भांप सकेंगे.
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कांग्रेस के साथ असहज हैं उद्धव ठाकरे?
शिवसेना की अब तक की राजनीति हिंदुत्व की रही है और कांग्रेस के साथ गठबंधन में आने के बाद से ठाकरे परिवार अपनी पारंपरिक लाइन पर नहीं चल पा रहा है. पार्टी का प्रदर्शन विधानसा चुनाव में निराशाजनक रहा है और शिवसैनिकों का मनोबल गिरा हुआ है. शरद पवार को लेकर जैसी चर्चा चल रही है उसमें उद्धव ठाकरे के पास अब अकेले जाने के सिवा कोई विकल्प भी नहीं बचा है. ऐसे हालात में उन्होंने गठबंधन से बाहर निकलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
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करारी हार के बाद उद्धव ठाकरे हुए INDIA से बाहर, BJP के साथ फिर बनेगी जोड़ी?