डीएनए हिंदी: मोहब्बत की निशानी कहा जाने वाला आगरा (Agra) का ताजमहल (Taj Mahal) एक बार फिर चर्चा में है. भाजपा के चर्चित नेता व राज्यसभा (Rajya sabha) सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इसकी तुलना राम सेतु (Ram Setu) से की है. सुब्रमण्यम स्वामी (subramanian swamy) ने राम सेतु की लव स्टोरी को ताजमहल से भी पुराना बताते हुए उसके जीर्णोद्धार की मांग की है.
क्या कहा है भाजपा नेता ने
केंद्रीय मंत्री रह चुके स्वामी ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मेरे परिचित एक नवविवाहित जोड़े ने ताजमहल देखने के बाद मुझसे मुलाकात की. हमारी बातचीत के दौरान उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं राम सेतु का जीर्णोद्धार कराने के लिए इतना आतुर क्यों हूं? मैंने उन्हें बताया कि ताजमहल से भी ज्यादा पुरानी मोहब्बत की कहानी रामसेतु की है. तब मैंने उनसे सवाल किया कि वे पहले रामसेतु क्यों नहीं गए?
A newly wed couple known to me met me after visiting Taj Mahal and in the course our conversation asked me why was I keen to restore Ram Setu. I told them that the Ram Setu is a much older story of love than Taj Mahal. So I asked why did they not visit Ram Setu first?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 25, 2022
सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा रखी है स्वामी ने
स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका भी लगा रखी है, जिसमें रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित कराने के लिए केंद्र सरकार को आदेश देने की मांग टॉप कोर्ट से की गई है. साथ ही इसका जीर्णोद्धार का आदेश देने को भी कहा गया है. इस याचिका पर शीर्ष अदालत में 26 जुलाई को सुनवाई होगी.
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क्या है रामसेतु और स्वामी क्यों बता रहे हैं इसे पहली लव स्टोरी
रामसेतु तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी तट पर पंबन और मन्नार द्वीप के बीच समुद्र के अंदर बनी चूना पत्थर की एक पट्टी है. मान्यता है कि यह वही पुल है, जिसे प्रभु श्रीराम की वानर सेना के इंजीनियरों नल-नील ने रामेश्वरम से रावण की लंका तक पहुंचने के लिए बनाया था. कई शोध में भी इसे हजारों साल पुराना माना गया है. इसे प्रभु श्रीराम और माता सीता के आपसी प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है.
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सेतुसमुद्रम शिपिंग कैनाल प्रोजेक्ट के जरिए इसे तोड़ने की थी योजना
कांग्रेस नेतृत्व वाले UPA गठबंधन के शासनकाल में साल 2005 में इस प्रकृति निर्मित पुल रूपी चट्टान श्रृंखला को तोड़कर इसके बीच से मालवाहक जहाजों के लिए रास्ता बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने सेतुसमुद्रम शिपिंग कैनाल प्रोजेक्ट (SSCP) की नींव रखी थी.
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सेतुसमुद्रम एक ऐसी महत्वाकांक्षी परियोजना का नाम था, जो देश के एक समुद्री छोर पर अरब सागर से दूसरे हिस्से में बंगाल की खाड़ी तक जाने का 400 समुद्री मील लंबा सफर छोटा और सस्ता कर सकती है. अभी जहाजों को श्रीलंका का चक्कर लगाकर जाना पड़ता है. इससे 36 घंटे के समय और ईंधन की बचत होगी. इस योजना का राम भक्तों के साथ ही पर्यावरणविदों ने भी विरोध किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने योजना पर बैन लगा दिया था.
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RAM SETU: सुब्रमण्यम स्वामी चाहते हैं रामसेतु का जीर्णोद्धार, क्या है इसकी लव स्टोरी, जो ताजमहल से भी ज्यादा अहम