डीएनए हिंदी: हैदराबाद पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच ने मोबाइल ऐप्स के जरिए कंपनियों में निवेश कराने के नाम पर ठगने वाले ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसे चीन और दुबई से संचालित किया जा रहा है. यह गिरोह अब तक करीब 903 करोड़ रुपये की ठगी पूरे देश में कर चुका है. इस गिरोह के 10 मेंबर्स को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें चीनी नागरिक भी शामिल हैं. इसके अलावा हैदराबाद पुलिस अब इस गिरोह के पूरे तार खंगालने में लगी है ताकि देशभर में इसके नेटवर्क से जुड़े लोगों को पकड़ा जा सके. इसके लिए दिल्ली और कई अन्य जगह पर चल रहे कॉल सेंटर्स पर भी हैदराबाद पुलिस ने रेड की है.
पढ़ें- Retail Inflation: नहीं मिल रही महंगाई से राहत, सितंबर में CPI 7.41% पर पहुंची
चीनी नागरिक रैकेट के जरिए कर रहे थे हवाला का धंधा
हैदराबाद के पुलिस कमिश्नर सीवी आनंद ने बताया कि साइबर क्राइम पुलिस ने दो चीनी नागरिकों समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है.पुलिस की गिरफ्त में आए लोगों में साहिल बजाज, सनी उर्फ पंकज, वीरेंद्र सिंह, संजय यादव, नवनीत कौशिक, मोहम्मद परवेज, सैयद सुल्तान और मिर्जा नदीम बेग शामिल हैं. जबकि ली झोंगजुन और चु चून-यू चीन के रहने वाले हैं. ली और चुन-यू दिल्ली और मुंबई में निवेश के नाम पर ठगे जाने वाले पैसे से हवाला का धंधा चला रहे थे.
Cybercrime police conducted raids on a few call centres operated from Delhi & other places and managed to break the network of fake investment companies that have been duping investors through mobile applications, using bank accounts of people by paying them commissions: CV Anand pic.twitter.com/WCZtmof7D5
— ANI (@ANI) October 12, 2022
पढ़ें- प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC का केंद्र को नोटिस, 31 अक्टूबर तक मांगा जवाब
एक शिकायत से खुला 900 करोड़ रुपये की ठगी का धंधा
पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, तारनाका (Tarnaka) निवासी एक व्यक्ति ने अपने साथ एक इन्वेस्टमेंट ऐप 'लोक्साम (Loxam)' के जरिए ठगी होने की शिकायत की थी. इस व्यक्ति से कंपनियों में निवेश कराने के नाम पर करीब 1.6 लाख रुपये ठग लिए गए थे. इस मामले की जांच हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने शुरू की थी.
कमिश्नर ने बताया कि जांच के दौरान 1.6 लाख रुपये की यह रकम इंडसइंड बैंक के एक खाते में जमा होने के सबूत मिले. यह खाता शिन्दाई टेक्नोलॉजिज प्राइवेट लिमिटेड (Xindai Technologies Private Limited) फर्म के नाम पर है. पुलिस ने यह खाता खोलने वाले वीरेंद्र सिंह की तलाश शुरू की और उसे पुणे में दबोच लिया.
पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट जांचेगा नोटबंदी का फैसला, कहा- अपनी 'लक्ष्मणरेखा' जानते हैं पर यह जरूरी
चीनियों के कहने पर खुले खाते, वहीं से हो रहे ऑपरेट
कमिश्नर ने बताया कि वीरेंद्र को एक चीनी नागरिक जैक ने शिन्दाई टेक्नोलॉजिज के नाम से खाता खोलने के लिए कहा था. इस खाते को वीरेंद्र के बजाय जैक ही इंटरनेट बैंकिंग से ऑपरेट करता था. खाते का यूजर नेम और पासवर्ड जैक के ही पास था. दिल्ली में संजय यादव को भी ली ने बेटनैक नाम की फर्म का खाता खोलने के लिए कहा. इस खाते को चीन में बैठे हुए पेई और हुसान जुआन ऑपरेट कर रहे हैं. संजय और वीरेंद्र को हर खाता खुलवाने के लिए 1.2 लाख रुपये का कमीशन दिया गया था. यह कमीशन ली ने दिया था.
पढ़ें- Indian Army के वाहनों में होगा बड़ा बदलाव, जानिए क्या तैयारी की जा रही है
15 बैंक खाते खुलवाए गए, जिनसे हो रहा हवाला का धंधा
कमिश्नर के मुताबिक, इसी तरह 15 बैंक खाते अलग-अलग जगह खुलवाए गए थे, जिन्हें ताइवानी नागरिक चु चुन-यू ऑपरेट कर रहा था. चु चून-यू फिलहाल अस्थायी वीजा पर मुंबई में रह रहा था, जहां से उसे मंगलवार को हैदराबाद पुलिस ने दबोच लिया. चु चून-यू इन अकाउंट्स की डिटेल, यूजर आईडी और पासवर्ड व सिम कार्ड दूसरे देशों में बैठे ऑपरेटर्स को भेज रहा था, ताकि इन अकाउंट्स के जरिए हवाला की रकम को इधर से उधर की जा सके.
पढ़ें- Diwali Bonus: रेलवे कर्मचारियों को दिवाली तोहफा, मिलेगा 78 दिन का बोनस
38 खातों में भेजी जाती थी शिन्दाई टेक्नोलॉजिज की रकम
शिन्दाई टेक्नोलॉजिज के बैंक खाते से रकम 38 अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती थी. इनमें सैयद सुल्तान और मिर्जा नदीम बेग के खाते भी थे, जो उन्होंने कमीशन लेकर परवेज के कहने पर खुलवाए थे. परवेज ने इन खातों की डिटेल व पासवर्ड दुबई में बैठे इमरान के साथ शेयर की थी, जो वहीं से इन्हें ऑपरेट कर रहा था.
पढ़ेंः AIIO चीफ उमर इलियासी को मिली Y+ श्रेणी की सुरक्षा, मोहन भागवत से मुलाकात के बाद मिली थी धमकी
नवनीत कौशिक रुपये को डॉलर में बदलता था
कमिश्नर ने बताया कि शिन्दाई टेक्नोलॉजिज के 38 बैंक खातों से रकम को रंजन मनी कॉर्प और केडीएस फॉरेक्स्ट प्राइवेट लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर किया जाता था. वहां से नवनीत कौशिक इस रकम को रुपये से यूएस डॉलर में बदलने का काम करता था. यह काम इस रकम को इंटरनेशनल टूअर्स एंड ट्रैवल्स के नाम पर दिखाकर किया जाता था. इससे मिले यूएस डॉलर्स को संभालने का काम साहिल और सन्नी संभाल रहे थे, जो इस रकम को हवाला के जरिए विदेश भेजने का काम करते थे. ये सभी काम पूरी तरह से व्हाइट मनी में RBI से लाइसेंसशुदा मनी चेंजर्स व फॉरेक्स एक्सचेंजेज के जरिए किया जाता था.
7 महीने में कर चुके 903 करोड़ रुपये की हेराफेरी
पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, ये लोग पिछले 7 महीने के दौरान राजन मनी कॉर्प के जरिए 441 करोड़ रुपये और केडीएस फॉरेक्स्ट के जरिए 462 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन कर चुके हैं. इन 903 करोड़ रुपये में से पुलिस को महज 1.91 करोड़ रुपये ही विभिन्न बैंक खातों में फ्रीज करने में सफलता मिली है. बाकी रकम को चिह्नित कराया जा रहा है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
मोबाइल ऐप से निवेश के नाम पर 903 करोड़ रुपये की ठगी, चीन से चल रहा था रैकेट