डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने नई शिक्षा नीति की बात करते हुए एजुकेशन सिस्टम को ज्यादा व्यवहारिक और रोजगार परक बनाने की बात कही थी. अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने एक ऐसा ही फैसला लिया है, जिससे यूनिवर्सिटीज की पढ़ाई ज्यादा व्यवहारिक बन पाएगी.
दरअसल UGC ने तय किया है कि कोई भी यूनिवर्सिटी या हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट अपने यहां किसी सब्जेक्ट के फेमस एक्सपर्ट को भी शिक्षक के तौर पर नियुक्त कर पाएंगी. भले ही वह हायर एजुकेशन में शिक्षक बनने के लिए आवश्यक अहर्ता पूरी नहीं करता हो. इतना ही नहीं इसके लिए संस्थान को उस पोस्ट से जुड़ी औपचारिक पात्रता और अन्य अर्हताएं पूरी करना भी अनिवार्य नहीं होगा.
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560वीं बैठक में लिया गया निर्णय, अगले महीने आएगा नोटिफिकेशन
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, UGC ने यह निर्णय पिछले सप्ताह हुई अपनी 560वीं बैठक में लिया. इस पोस्ट को 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' (Professional Professor) कहा जाएगा. इस योजना का नोटिफिकेशन अगले महीने जारी किए जाने की संभावना है.
आयोग की तरफ से मंजूर इस योजना की ड्राफ्ट SOP तैयार कर ली गई है. इसके मुताबिक, इस नई कैटेगरी के तहत इंजीनियरिंग, विज्ञान, मीडिया, साहित्य, उद्यमिता, सामाजिक विज्ञान, ललित कला, लोक सेवा और सशस्त्र बल आदि क्षेत्रों के एक्सपर्ट नियुक्त किए जाएंगे.
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क्या कहा गया है ड्राफ्ट में
ड्राफ्ट में कहा गया है कि कम से कम 15 साल की सेवा या अनुभव रखने वाले जिन लोगों ने खास प्रोफेशन में विशेषज्ञता साबित की हो, वे प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस (Professor of Practice) कैटेगरी के लिए पात्र माने जाएंगे. खासतौर पर ऐसे विशेषज्ञ, जो अपने पेशे में वरिष्ठ स्तर के पदो पर रहे हों. अगर उनका शानदार प्रोफेशनल एक्सपीरियंस या कार्य रहा हो, तब इसके लिए औपचारिक अकादमिक अहर्ता लागू करना अनिवार्य नहीं होगा. इसके आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू होने की संभावना है.
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10 फीसदी से ज्यादा नहीं होंगे कुल मंजूर पदों के
ड्राफ्ट के मुताबिक, इन प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस या विषय विशेषज्ञों को प्रोफेसर स्तर पर टीचिंग फैकल्टी के तौर पर तैनात करने के लिए आवश्यक प्रकाशन व अन्य पात्रता निर्देश की छूट होगी. हालांकि उनके लिए कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों को पूरा करने का जरूरी कौशल आवश्यक होगाय आयोग ने यह भी तय किया है कि प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की संख्या संस्थान में टीचिंग फैकल्टी के कुल मंजूर पदों के 10 फीसदी हिस्से से ज्यादा नहीं होगी.
टीचिंग फैकल्टी को बांटा जाएगी 3 कैटेगरी में
इस योजना के तहत टीचिंग फैकल्टी को तीन कैटेगरी में बांटा जाएगा. पहली कैटेगरी में इंडस्ट्रीज द्वारा पोषित 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' रखे जाएंगे, जबकि दूसरी कैटेगरी में नियुक्त होने वाले एक्सपर्ट्स का खर्च खुद हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स ही उठाएंगे. तीसी कैटेगरी में मानद आधार पर नियुक्ति की जाएगी.
इसमें कहा गया है कि ऐसे पदों पर नियुक्ति नियत अवधि के लिए होगी. साथ ही ये नियुक्तियां विश्वविद्यालय या कॉलेजों में कुल मंजूर पदों से इतर होगी यानी इससे कुल मंजूर पदों की संख्या और नियमित टीचिंग फैकल्टी की भर्ती प्रभावित नहीं होगी. यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस योजना के तहत मौजूदा कार्यरत या रिटायर हो चुके टीचर्स को दोबारा तैनात नहीं किया जा सकेगा.
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एक साल के लिए होगी शुरुआत में तैनाती
UGC ने तय किया है कि प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति शुरुआत में महज एक साल के लिए होगी. उसके बाद काम के मूल्यांकन के आधार पर संस्थान उसका विस्तार करेगा. अधिकतम 3 साल के लिए नियुक्ति दी जाएगी. इसके बाद असाधारण परिस्थिति में भी इसे महज एक साल ही बढ़ाया जा सकेगा. वेतन का निर्णय संस्थान व एक्सपर्ट्स के बीच साझा रूप से सहमत समेकित राशि (Consolidated Money) के तौर पर दिया जाएगा.
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ऐसे होगा चयन
यूनिवर्सिटी का कुलपति या हायर इंस्टीट्यूट का निदेशक 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' के लिए जाने-माने विशेषज्ञों से नामांकन मांगेंगे. इन नामांकनों पर एक चयन समिति विचार करेगी, जिसमें यूनिवर्सिटी/इंस्टीट्यूट के दो वरिष्ठ प्रोफेसर और एक मशहूर बाहरी मेंबर शामिल रहेंगे. यही चयन समिति अंतिम आवेदक के नाम पर मुहर लगाएगी.
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