कोटा की कोचिंग फैक्ट्री से निकलकर इंजीनियर-डॉक्टर भले ही देश-दुनिया में नाम कमा रहे हों, लेकिन यहां लगा एक धब्बा मिट नहीं पा रहा है. यह धब्बा है डिप्रेशन का. जिसकी वजह से हर साल सैंकड़ों बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं. प्रशासन के तमाम इंतजामात के बावजूद यहां मौत का तांडव थम नहीं रहा है. कोटा में मंगलवार को डॉक्टर की चाहत लेकर NEET की तैयारी कर रहे एक और छात्र ने अपने सपने और जिंदगी को खत्म कर लिया.
मृतक छात्र की पहचान अंकुश मीणा के रूप में हुई है, जो सवाई माधोपुर का निवासी था और कोटा के दादाबाड़ी के प्रताप नगर इलाके में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था. छात्र का शव उसके रूप में मिला. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि छात्र ने आत्महत्या की है. पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है.
पीड़ित परिवार को यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनका बेटा ऐसा कर सकता है. परिजनों का कहना है कि अंकुश डेढ़ साल से कोटा में NEET की तैयारी कर रहा था. उसके पिताजी खेती का काम करते हैं. फोन पर उन्हें इस घटना की जानकारी मिली.
बूंदी के युवक ने भी की थी आत्महत्या
इससे पहले 18 जनवरी को JEE की तैयारी कर रहे छात्र मनन जैन ने आत्महत्या कर ली थी. वह राजस्थान के बूंदी का रहने वाला था. कोटा में रहकर वह पढ़ाई कर रहा था. इस संबंध में मृतक छात्र के मामा महावीर जैन ने बताया कि 22 जनवरी को उसका मेंस का पेपर था. वह कोटा में 3 साल से रह रहा था. हमने उसे फोन किया, तो उसने रिसीव नहीं किया था. इसके बाद हमने दूसरे छात्र से संपर्क किया, तो हमें पता चला कि उसने आत्महत्या कर ली
इस साल 7 छात्र कर चुके सुसाइड
बता दें कि पिछले 42 दिन में 7वें छात्र ने सुसाइड किया है. इससे पहले 7 जनवरी को हरियाणा के महेंद्रगढ़ के नीरज जाट , 8 जनवरी को मध्य प्रदेश के गुना के अभिषेक, 16 जनवरी को ओडिशा के रहने वाले अभिजीत गिरी, 17 जनवरी को राजस्थान के बूंदी का छात्र और 22 जनवरी को अहमदाबाद 24 साल के छात्र ने जान दे दी थी.
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kota suicide
कोटा में नहीं थम रहा 'डिप्रेशन' का साया, न अपने याद आ रहे, न सपने... 42 दिनों में 7वां सुसाइड