डीएनए हिंदी: कश्मीर (Kashmir) घाटी टारगेट किलिंग (Targeted Killings) का अड्डा बन गया है. आतंकियों के निशाने पर अब सरपंच, पुलिस अधिकारी, शिक्षक और दूसरे सरकारी अधिकारी आ गए हैं. जनवरी से लेकर जून तक अब तक घाटी में कुल 16 टारगेटेड किलिंग हो चुकी है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह का कहना है कि कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. आम नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है. आतंकी सिर्फ घाटी में भय का माहौल पैदा करना चाहते हैं. स्थानीय लोगों ने अब आतंकियों का फरमान सुनना बंद कर दिया है.
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क्यों कश्मीरी पंडियों को निशाना बना रहे हैं आतंकी?
कश्मीर पुलिस का कहना है कि आतंकी घाटी में रह रहे अलग-अलग वर्गों के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.आतंकी लोगों पर हमला करके सिर्फ अपनी मौजूदगी दिखाना चाहते हैं. आतंकी सिर्फ उन्हें ही निशाना बना रहे हैं जिनकी मौजूदगी हमेशा से उन्हें अखरती रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी कश्मीरी हिंदुओं के लिए घाटी में स्थितियां एक बार फिर खराब करना चाहते हैं जिससे एक बार फिर वे अपनी जमीन से बेदखल हों और घाटी छोड़कर चले जाएं.
कश्मीर में फिर शुरू हुआ टारगेट किलिंग का दौर
आतंकियों के निशाने पर कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ आम हिंदू आ गए हैं. फरवरी 2021 के बाद से ही कश्मीर में एक बार फिर सलेक्टेड किलिंग के दौर ने वापसी कर ली. श्रीनगर में कृष्णा ढाबा के मालिक के बेटे को उसके रेस्टोरेंट में घुसकर गोली मार दी गई थी.
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5 अक्टूबर को प्रसिद्ध केमिस्ट एमएल बिंदरू को उनकी दुकान में घुसकर गोली मार दी गई थी. हत्या के बाद से ही लोग परेशान हो गए थे और हिंदुओं में आक्रोश देखने को मिला था. इस हत्या के ठीक 2 दिन बाद गवर्नमेंट बॉयज हायर सेकेंड्री स्कूल संगम की प्रिंसपल सुपिंदर कौर और स्कूल टीचर दीपक चंद को गोली मार दी.
खीज में हैं आतंकी
आतंकियों ने पहले शिक्षकों से उनका आइडेंटिटी कार्ड मांगा फिर गोली मार दी. पिछले साल घाटी में 182 आतंकवादी और कम से कम 35 नागरिक मारे गए थे. कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग का दौर शुरू हो गया था. पुलिस ने कहा था कि कश्मीर घाटी में कानून व्यवस्था सख्त हो गई है. आतंकियों के पांव सिमट रहे हैं. यही वजह है कि आतंकी खीज में लोगों को निशाना बना रहे हैं.
आम नागरिकों को आतंकी बना रहे हैं निशाना
आतंकियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. पुलिस, निर्दोष नागरिक और राजनेताओं को निशाना बनायाजा रहा है. अल्पसंख्यकों की हत्या की गई है. आतंकी हत्याओं के लिए पिस्तौल का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. अब बड़ी-बड़ी बंदूकें लेकर आतंकी नहीं घूम रहे हैं. नए आतंकियों की भर्ती की जा रही है. कश्मीर में आतंकी सहयोगी भी सक्रिय हो रहे हैं.
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अक्टूबर 2021 में, जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बाद से घाटी की अपनी पहली यात्रा पर, गृह मंत्री अमित शाह का पहला पड़ाव नौगाम में पुलिस इंस्पेक्टर परवेज अहमद का घर था. 22 जून को नमाज़ से लौटते समय अहमद की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस साल की शुरुआत से अब तक तीन सरपंचों समेत पंचायती राज संस्थाओं के सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है.
हर दिन घाटी को दहला रहे हैं आतंकी
4 अप्रैल को कश्मीरी पंडित समुदाय से आने वाले बाल कृष्ण की चौतीगाम शोपियां में उनके घर के पास संदिग्ध आतंकियों ने हत्या कर दी थी.कम से कम तीन मामलों में, जम्मू-कश्मीर में प्रवासी मजदूरों को आतंकियों ने गोली मार दी थी.
कश्मीर घाटी में राजस्व विभाग के एक कर्मचारी राहुल भट की हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. घाटी में व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. उन्हें पीएम पुनर्वास पैकेज के तहत रोजगार मिला था. बडगाम में उनके कार्यालय में घुसकर आतंकियों ने गोली मारी थी.
जारी है घाटी में हत्याओं का दौर
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया था लेकिन आश्वासन काम नहीं आया. लोग परेशान हैं मुश्किलों से जूझ रहे हैं. 25 मई को एक कश्मीरी टीवी अभिनेत्री की उसकी घर में ही हत्या कर दी गई थी. परिवार अब तक यह जान नहीं सका है कि आतंकियों ने उसका कत्ल क्यों किया है.
मंगलवार को सांबा में रहने वाली रजनी बाला की हत्या कर दी गई है. रजनी बाला की हत्या इसलिए कर दी गई थी क्योंकि वह स्कूल में पढ़ा रही थीं. कश्मीर घाटी में स्थितियां एक बार फिर बेहद बुरी हो गई हैं.
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पुलिस, टीचर, सरकारी अफसर...फिर टारगेट किलिंग पर उतरे आतंकी, हर दिन दहशत के घेरे में कश्मीर घाटी!