डीएनए हिंदी: चुनाव दर चुनाव हार, आपसी खींचतान और नेताओं की बगावत झेल रही कांग्रेस को कर्नाटक चुनाव के नतीजों ने संजीवनी दे दी है. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिशों में जुटे दल भी अब कांग्रेस के साथ चलने की बात करने लगे हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या विपक्षी पार्टियां अब राहुल गांधी को अपना नेता मानने को स्वीकार हैं? तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के बयान ने भी इसी को इशारा किया है. कुछ महीनों पहले कांग्रेस के बिना गठबंधन बनाने की बात करने वाली ममता बनर्जी अब कांग्रेस के साथ चलने को तैयार हैं.
ममता बनर्जी ने कहा है कि वह कर्नाटक में कांग्रेस के साथ हैं लेकिन वह बंगाल में उनसे लड़ना बंद करे. यानी ममता बनर्जी इस शर्त पर कांग्रेस का समर्थन करने को तैयार हैं कि कांग्रेस पार्टी बंगाल में अपनी दावेदारी छोड़ दे. ममता बनर्जी भी वही राग अलाप रही हैं कि जिसमें विपक्षी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस उन जगहों पर क्षेत्रीय पार्टियों को मौका दे जहां वे मजबूत हैं.
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कर्नाटक ने कांग्रेस को दी संजीवनी?
कुछ महीनों पहले तक कई दल ऐसे थे जो कांग्रेस को बिल्कुल नजरअंदाज करके चल रहे थे. ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने भी कहा था कि वह ऐसा गठबंधन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं जिसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों न हों. ममता बनर्जी के बारे में भी कहा जाता है कि वह राहुल गांधी से सहज नहीं हैं. यही वजह है कि वह कभी भी विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस को शामिल करने के पक्ष में नहीं दिखतीं. हालांकि, कर्नाटक चुनाव के नतीजो के बाद उनके रुख में बदलाव देखा जा रहा है.
ममता बनर्जी ने पहली बार खुलकर कहा है कि वह कांग्रेस का समर्थन करने को तैयार हैं. यानी उन्हें राहुल गांधी का नेतृत्व भी स्वीकार होगा! ममता का कहना है कि कांग्रेस पार्टी बिहार में नीतीश और तेजस्वी का साथ दे, दिल्ली में AAP का साथ दे तो जहां कांग्रेस मजबूत है वहां हम भी साथ देंगे. उन्होंने साफ कहा कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है और कांग्रेस को यह समझना होगा.
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2024 से पहले बन जाएगी बात?
दरअसल, प्रशांत किशोर भी यही प्रस्ताव लेकर कांग्रेस के पास गए थे लेकिन तब बात नहीं बनी थी. अब नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद कांग्रेस के रुख में भी थोड़ी नरमी आई है. उम्मीद जताई जा रही है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी बड़ा दिल दिखाएगी. हालांकि, कांग्रेस के ही कुछ नेता इस तरह से क्षेत्रीय पार्टियों को भरपूर जगह दे देने के पक्ष में नहीं हैं.
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नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार और अखिलेश यादव जैसे नेताओं का मानना है कि अगर 2024 में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हराना है तो क्षेत्रीय पार्टियां ही ऐसा कर सकती है. इसके लिए जरूरी है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों में कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय दलों को मौका दे. इसके बदले बाकी की पार्टियां उन राज्यों में कांग्रेस की मदद करें जहां बीजेपी से सीधा मुकाबला कांग्रेस का है.
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कर्नाटक की जीत राहुल गांधी को बनाएगी नेता? ममता बनर्जी का रुख दिखा रहा भविष्य की तस्वीर