डीएनए हिंदी: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election 2023) के तहत करीब एक महीने चले प्रचार अभियान के बाद अब जनता की बारी आ गई है. राज्य की जनता आज यानी 10 मार्च को अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर उम्मीदवारों के चुनावी भविष्य को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में बंद करेगी. इसके बाद 13 मई को पता चलेगा कि कर्नाटक की सत्ता का ताज किसके सिर सजेगा. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी जीत को बरकरार रख पाती है या कांग्रेस उससे यह ताज छीनने में सफल होती. वहीं जनता दल (सेक्युलर) पर भी सबकी नजर रहेगी कि उसे कौनसी भूमिका मिलेगी. राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू होगी और शाम 6 बजे तक डाले जाएंगे.
चुनाव आयोग ने मतदान को शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. राज्य भर में 58,545 मतदान केंद्रों पर कुल 5,31,33,054 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. ये मतदाता 2,615 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत तय करेंगे. मतदाताओं में 2,67,28,053 पुरुष, 2,64,00,074 महिलाएं और 4,927 अन्य हैं. उम्मीदवारों में 2,430 पुरुष, 184 महिलाएं और एक उम्मीदवार अन्य लिंग से हैं. राज्य में 11,71,558 युवा मतदाता हैं, जबकि 5,71,281 दिव्यांग और 12,15,920 मतदाता 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं.
VVPAT का होगा इस्तेमाल
मतदान के दौरान कुल 75,603 बैलेट यूनिट (बीयू), 70,300 कंट्रोल यूनिट (सीयू) और 76,202 वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल किया जाना है. चुनाव अधिकारियों के अनुसार, स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं निर्बाध चुनाव के लिए राज्य भर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं और पड़ोसी राज्यों से बलों को तैनात किया गया है.
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क्या बीजेपी तोड़ पाएगी 38 साल पुरानी मिथक?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के रथ पर सवार सत्तारूढ़ भाजपा की कोशिश 38 साल के उस मिथक को तोड़ने की है जिसमें प्रदेश की जनता ने किसी भी सत्ताधारी पार्टी को वापस सत्ता में बिठाने से परहेज किया है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दक्षिण के अपने इस गढ़ को बरकरार रखने के लिए भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में करीब डेढ़ दर्जन चुनावी जनसभाओं और आधा दर्जन से अधिक रोड शो के जरिए फिर से जनता का विश्वास हासिल करने का प्रयास किया.
कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत
वहीं कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों में खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस के लिए उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूरे राज्य में जनसभाएं की. राहुल गांधी और प्रियंका ने कई रोड शो भी किए. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने प्रचार अभियान में कोई कसर नहीं छोड़ी.
क्या देवगौड़ा के हाथ लगेगी सत्ता की चाबी?
बहरहाल, इन दोनों दलों के अलावा सबकी नजर पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाले जनता दल (सेक्युलर) पर भी है. जानकारों का कहना है कि त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में सरकार गठन की कुंजी उसी के हाथों में होगी. पूर्व के चुनावों में भी राज्य में कई अवसरों पर यह स्थिति उभर चुकी है. चुनाव प्रचार के दौरान सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने ‘पूर्ण बहुमत वाली सरकार’ का नारा जोरशोर से बुलंद किया. (भाषा इनपुट के साथ)
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