Kargil War 25th Anniversary: यूं तो Kargil War को लेकर कई सारे किस्से और कहानियां हैं. बावजूद इसके इस युद्ध के दौरान कई घटनाएं ऐसी हैं, जो न केवल हैरान करती हैं. बल्कि ये भी बताती हैं कि भले ही पाकिस्तान ने मुंह की खाई हो, लेकिन जंग की शुरुआत हमेशा उसी ने की. भारतीय और पाकिस्तानी सैन्य बलों के बीच 1999 का युद्ध इसलिए भी अनोखा था क्योंकि अक्सर ही एक दूसरे से भिड़ जाने वाली दोनों देशों की सेनाएं एक जिले यानी कारगिल में ही लड़ रही थीं. तब भारतीय वायु सेना (IAF) ने सफ़ेद सागर नामक ऑपरेशन में सीमित भूमिका निभाई थी, लेकिन इस युद्ध में पाकिस्तान वायु सेना (PAF) की भागीदारी लगभग न के बराबर थी. 

एक बड़े युद्ध में PAF की ये भूमिका आज 25 साल बाद भी तमाम सवाल खड़े करती है. ऐसा क्यों और कैसे हुआ कि PAF ने इस युद्ध में शिरकत नहीं की? इस सवाल का जवाब बस ये है कि तत्कालीन PAF प्रमुख परवेज मेहदी कुरैशी ने युद्ध में अपनी सेना के इस्तेमाल की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. कुरैशी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सलाह दी कि वे तनाव कम करने का कोई रास्ता खोजें क्योंकि कारगिल युद्ध की साजिश पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के दिमाग की उपज थी.

तब कुरैशी ने ये भी कहा था कि मुशर्रफ ने PAF के शीर्ष अधिकारियों को इस बारे में नहीं बताया था और न ही पाक सेना के कई शीर्ष जनरलों को उनकी योजनाओं के बारे में कुछ पता था. बताया जाता है कि मुशर्रफ ने मियां शरीफ के सामने एक ऐसा वादा पेश कर दिया था जिससे बाहर निकलना उनके लिए लगभग असंभव था.

जुलाई 1999 में, जब शरीफ अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करने के लिए वाशिंगटन गए थे, तब भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस बात पर अड़े थे कि पाकिस्तान को कोई भी क्षेत्र देने का सवाल ही नहीं उठता, चाहे इसके लिए कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. यह दृढ़ संदेश अन्य देशों को भी दिया गया जिसका असर बाद में युद्ध के दौरान देखने को मिला.

संयोग से, एयर चीफ मार्शल परवेज कुरैशी ने कारगिल युद्ध के दौरान पीएएफ का नेतृत्व किया था, उस समय  जनरल परवेज मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना का नेतृत्व कर रहे थे. बताते चलें कि भले ही परवेज कुरैशी और मुशर्रफ के नाम में समानता हो. लेकिन ये दोनों एक हर मायनों में एक दूसरे से बहुत अलग थे. बाद में इन दोनों के एक अन्य मित्र अजीज मिर्ज़ा पाकिस्तान नेवी के प्रमुख बने.  

दरअसल, शीर्ष पदों पर नियुक्ति के विरोध में एडमिरल फसीह बुखारी के इस्तीफा देने के बाद मिर्जा पाक नौसेना प्रमुख बने थे. इतना ही नहीं, बुखारी ने एक बार कहा था कि जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए और पूरे कारगिल प्रकरण की जांच होनी चाहिए. एडमिरल फसीह बुखारी ने मुशर्रफ को ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का चेयरमैन नियुक्त करने के शरीफ के फैसले का खुलकर विरोध किया था.

उन्होंने ये सवाल भी उठाया था कि जब वे सेवा में मुशर्रफ से वरिष्ठ थे और उन्हें यह पद नहीं मिला था. जब शरीफ ने बुखारी के विरोध को नज़रअंदाज़ करने का फ़ैसला किया, तो उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफ़ा दे दिया और पाकिस्तानी नौसेना की कमान छोड़ दी. कुरैशी की तरह एडमिरल बुखारी भी मुशर्रफ़ के उस दुस्साहस के ख़िलाफ़ थे, जिसके चलते दोनों पड़ोसी देशों के बीच युद्ध छिड़ गया था.

गौरतलब है कि, कुरैशी की मुशर्रफ के साथ आजीवन मित्रता थी, लेकिन उनके बीच मतभेद इतने थे कि उन्होंने PAF को कारगिल युद्ध में शामिल होने की अनुमति नहीं दी थी. बताया जाता है कि कुरैशी ने शरीफ से कहा था कि मुशर्रफ आवेगशील हैं और उन्हें कारगिल  में भारतीय क्षेत्रों पर कब्जा करने के उनके दुस्साहस के लिए कोई समर्थन नहीं दिया जाना चाहिए.

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Kargil War 25th Anniversary Pakistan Air Chief Marshall Parvaiz Qureshi stood against general Pervez Musharraf
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क्यों मुशर्रफ के खिलाफ खड़े हुए थे पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल परवेज कुरैशी
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आज 25 साल बाद भी माना यही जाता है कि कारगिल युद्ध परवेज मुशर्रफ की जिद का नतीजा था
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आज 25 साल बाद भी माना यही जाता है कि कारगिल युद्ध परवेज मुशर्रफ की जिद का नतीजा था 

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Kargil War 25th Anniversary: क्यों मुशर्रफ के खिलाफ खड़े हुए थे पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल परवेज कुरैशी

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