डीएनए हिंदी: नए साल की रात दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके के (Kanjhawala Accident Case) में हुई अंजलि नाम की युवती के साथ हुए हादसे और फिर उसकी मौत ने सभी को हैरान कर दिया था. उस लड़की के शरीर पर अनेकों चोटे लगीं थी और कपड़े भी बुरी तरह फट गए थे. इस मामले में अब नए-नए खुलासे हो रहे हैं. इसमें पता चला है कि इस केस के आरोपियों ने खुद को बचाने की भरपूर कोशिश की. इसके लिए कई बार मोबाइल बदले, कई फोन कॉल किए. अब पुलिस एक-एक का खुलासा कर रही है.
कंझावला केस में पता चला है कि पुलिस समेत सभी जांच एजेंसियों को बरगलाने की कोशिश की जा रही थी. इस केस की जांच में पता चला है कि इस पूरे घटनाक्रम में 4 अलग-अलग मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया गया था और 37 बार कॉलिंग की गई थी. केस को लेकर दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अभी तक की जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि वाहन को दीपक नहीं बल्कि अमित चला रहा था.
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लगातार संपर्क में थे आरोपी
पुलिस अधिकारी के मुताबिक दुर्घटना के आधे घंटे बाद बाद ही अमित को पता चल गया था कि अंजलि कार के नीचे फंसी है. उसने पहला फोन करीब 2:40 बजे अपने भाई अंकुश को किया था. इसके बाद अंकुश ने कार मालिक आशुतोष को फोन किया और पूरी घटना के बारे में जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि इसके बाद तीनों एक दूसरे से लगातार संपर्क बनाए हुए थे. फिर अंकुश ने अपने चचेरे भाई दीपक को हादसे के बारे में जानकारी देकर राजी कर लिया था और फिर उसे इस घटना की जानकारी दी गई थी.
पुलिस ने इस केस में सभी आरोपियों की कॉल डिटेल्स निकाल की भी एक सघन जांच की है और सभी कड़ियों को जोड़ा है. इससे पता चला है कि इस दौरान चार फोन से आरोपियों ने एक-दूसरे को 37 कॉल लगाए थे. जानकारी के मुताबिक इन्हीं कॉल्स के जरिए उन सभी ने पुलिस और जांच एजेंसियों की गुमराह करने की प्लानिंग की गई थी.
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आरोपियों के जघन्य अराधों को लेकर पुलिस ने बड़ा बयान दिया है और साथ ही केस की FIR में दो और धाराएं जोड़ दी हैं. इसमें एक धारा सबूत मिटाने की और दूसरी आरोपियों को पनाह देने से भी संबंधित है. दीपक, आशुतोष और अंकुश पर इनके तहत नए आरोप भी तय किए गए हैं. बता दें कि इस केस में अब तक दिल्ली पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
आरोपियों के खिलाफ किए सख्त केस
बता दें कि इन पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही से मौत और खतरनाक ढंग से वाहन चलाने की धारा में एफआईआर दर्ज है. इसमें दीपक और आशुतोष गैर इरादतन हत्या, लापरवाही से मौत और खतरनाक ढंग से वाहन चलाने की धारा भी लगाई है और केस को और स्ट्रॉन्ग बनाने के प्रयास किए गए हैं.
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पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना के बाद आरोपियों ने व्हाट्सऐप से भी बात की थी और इंटरनेट की गतिविधियों की जानकारी के लिए आईपीडीआर भी ली गई है. इसके अलावा व्हाट्सऐप पर भी जानकारी देने के लिए लिखा गया.
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कंझावला कांड: 4 मोबाइल फोन, 37 कॉल, कुछ यूं हुई थी केस छिपाने की कोशिश