डीएनए हिंदी: कनाडा ने भारत के आदेश के बाद अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है. खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या पर जारी तनाव के बीच ये फैसला लिया गया. 41 राजनयिकों को वापस बुलाए जाने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का दर्द छलक उठा. उन्होंने भारत सरकार पर कई आरोप लगाए. ट्रूडो ने कहा कि भारत की कार्रवाइयां दोनों देशों में लाखों लोगों के लिए जीवन को बहुत कठिन बना रही हैं. उन्होंने कहा कि इससे वीजा सेवाओं में देरी होगी.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई राजनयिकों के निष्कासित किए जाने के बाद कहा कि भारत की कार्रवाई जीवन को बहुत कठिन बना रही है. उन्होंने कहा कि कनाडाई राजनयिकों को निकाल कर भारत लोगों के जीवन को अविश्वसनीय रूप से कठिन बना रहा है. उन्होंने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत द्वारा कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन किया जा रहा है. ट्रूडो ने यह भी कहा कि भारत की इस कार्रवाई से मैं उन कनाडाई लोगों के लिए चिंतित हो उठा हूं, जो भारतीय उपमहाद्वीप में रह कर अपने उद्भव की खोज कर रहे हैं.
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जस्टिन ट्रूडो ने जताई चिंता
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के हाथ होने का बेबुनियाद आरोप लगाने के बाद भारत ने कनाडा के खिलाफ लगातार कई एक्शन लिए हैं. जिससे बौखलाए कनाडाई पीएम को भारत के साथ व्यापार और यात्रा की चिंता सताने लगी है. उन्होंने ब्रैम्पटन ओंटारियो में एक टेलीविज़न प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कनाडा के कुछ राजनयिकों के निष्कासन से यात्रा और व्यापार में बाधा आएगी और इससे कनाडा में पढ़ने वाले भारतीयों के लिए मुश्किलें पैदा होंगी. लगभग 20 लाख कनाडाई भारतीय विरासत हो चुके हैं, जो कुल कनाडा की आबादी का 5% हैं.
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कनाडा के आरोप पर भारत ने दिया ऐसा जवाब
विदेश मंत्रालय ने कनाडा सरकार के इस आरोप को ख़ारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था भारत ने कहा था कि दोतरफा राजनयिक समानता सुनिश्चित करना राजनयिक संबंधों पर वियना सम्मेलन के प्रावधानों के तहत पूरी तरह से सुसंगत है.कि राजनयिक संबंधों पर वियना सम्मेलन का उल्लंघन किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से साफ कह दिया गया है कि भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या बहुत अधिक थी. हमारे आंतरिक मामलों में उनका निरंतर हस्तक्षेप "हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति को गड़बड़ कर रही थी. नई दिल्ली और ओटावा में पारस्परिक राजनयिक उपस्थिति में समानता की आवश्यकता है. बता दें कि भारत में कनाडा के अब 21 राजनयिक बचे हैं.
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राजनयिकों के खिलाफ भारत की कार्रवाई पर जस्टिन ट्रूडो का छलका दर्द, कही ऐसी बात