देश में गेमिंग अब केवल मनोरंजन का साधन भर नहीं रह गया है बल्कि लोग इसमें करियर भी बना रहे हैं. एक बार फिर से ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री सुर्खियों में है. इसके पीछे की वजह है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की कानूनी लड़ाई को लेकर केंद्र में है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी दोनों ने गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (जीटीपीएल) के समर्थन में राय दी है. जिसमें जटिल जीएसटी परिदृश्य और उभरते क्षेत्र के लिए इसके निहितार्थ पर प्रकाश डाला गया है.
भारत में ऑनलाइन कौशल गेमिंग उद्योग हाल के वर्षों में नियामक अशांति का सामना कर रहा है, जिसमें जीएसटी निहितार्थ विवाद का केंद्र बिंदु है. ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म पर 28% जीएसटी दर लगाने का विरोध किया जा रहा है, जिससे उद्योग के विकास पथ में बाधा उत्पन्न होने का खतरा है. इस पृष्ठभूमि के बीच, जीटीपीएल की कानूनी लड़ाई एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में उभरी है, जिसमें कंपनी ने माल और सेवा कर खुफिया महानिदेशालय की मांगों को चुनौती दी है.
न्यायमूर्ति एमआर शाह ने दी यह राय
न्यायमूर्ति एमआर शाह की राय में “गेम ऑफ़ स्किल” और “गेम ऑफ़ चांस” के बीच अंतर पर जोर देना चाहिए .इसके साथ वह “रम्मी” जैसे कौशल-आधारित खेलों की अनूठी प्रकृति पर प्रकाश डालते हैं. उनका कहना है कि गेम ऑफ़ चांस जब मौद्रिक दांव के साथ खेला जाता है तो वह जुआ है लेकिन गेम ऑफ़ स्किल चाहे दांव के साथ खेला जाए या उसके बिना, जुआ नहीं है. यह दावा मौका-आधारित और कौशल-आधारित गतिविधियों के बीच मूलभूत अंतर को रेखांकित करता है, जो ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों के लिए जीएसटी निहितार्थ पर स्पष्टता प्रदान करता है.
इसके अलावा न्यायमूर्ति शाह ने जीटीपीएल के मामले में स्किल लोट्टो मामले की प्रयोज्यता को खारिज कर दिया. जिसमें अलग-अलग कानूनी मुद्दों पर जोर दिया गया. उनका कहना है कि स्किल लोट्टो के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों की सामान्य रूप से ऑनलाइन कौशल गेमिंग क्षेत्र के संदर्भ में और विशेष रूप से वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में लंबित जीटीपीएल के मामले में कोई प्रासंगिकता या प्रयोज्यता नहीं होगी. यह रुख जीटीपीएल की स्थिति की पुष्टि करता है और उनके मामले की खूबियों की स्वतंत्र जांच के लिए मंच तैयार करता है.
जानिए न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की राय
न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की राय न्यायमूर्ति शाह की भावनाओं को प्रतिध्वनित करती है, जो जीटीपीएल के मामले की अनूठी प्रकृति पर जोर देती है. उनका भी यही कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए स्किल लोट्टो के मामले में उन मुद्दों को शामिल नहीं किया जाएगा, जो जीटीपीएल द्वारा उठाए गए हैं और उन पर स्वतंत्र रूप से विचार किया जाना है. न्यायमूर्ति रेड्डी ने लॉटरी और कौशल-आधारित खेलों के बीच अंतर पर प्रकाश डाला. उन्होंने जीटीपीएल के इस तर्क की पुष्टि करते हुए कि उनकी गतिविधियाँ “सट्टेबाजी और जुए” के दायरे में नहीं आती हैं. न्यायमूर्ति शाह और न्यायमूर्ति रेड्डी दोनों की राय कुछ खेलों की कौशल-आधारित प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, ऑनलाइन कौशल गेमिंग क्षेत्र में जीएसटी कराधान के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करती है. जीटीपीएल के मामले में उनका समर्थन उद्योग के लिए आशा की एक किरण प्रदान करता है, जो एक अधिक अनुकूल नियामक वातावरण की ओर संभावित बदलाव का संकेत देता है.
गेमिंग इंडस्ट्री को है उम्मीद
जैसा कि सुप्रीम कोर्ट जीटीपीएल मामले पर फैसला देने की तैयारी कर रहा है, उद्योग बेसब्री से इंतजार कर रहा है, एक अनुकूल समाधान की उम्मीद कर रहा है, जो ऑनलाइन गेमिंग की गतिशील दुनिया में निरंतर विकास और नवाचार का मार्ग प्रशस्त करेगा. जस्टिस शाह और रेड्डी के न्यायिक समर्थन के साथ, जीटीपीएल का मामला ऑनलाइन कौशल गेमिंग के प्रति उत्साही और हितधारकों के लिए आशा की किरण के रूप में खड़ा है, जो ऑनलाइन गेमिंग के लगातार विकसित हो रहे परिदृश्य में वैधता और वैधता के एक नए युग की शुरुआत करता है.
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