वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा को लेकर सोमवार को संयुक्त समिति (JPC) की आखिरी बैठक हुई. इसमें 44 संशोधनों पर चर्चा की गई. सत्तारूढ़ बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए सांसदों के 14 सुझावों को स्वीकार कर लिया गया, जबकि विपक्षी सदस्यों के सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया. JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बैठक के बाद कहा कि समिति द्वारा स्वीकार किए गए संशोधनों से कानून बेहतर और प्रभावी होगा.
विपक्ष सांसदों ने बैठक की कार्रवाई की निंदा की और जगदंबिका पाल पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पलटने का आरोप लगाया. तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, इन्होंने वही किया जो तय किया था. मीटिंग में विपक्षी सदस्यों की कोई बात नहीं सुनी गई. जेपीसी अध्यक्ष ने तानाशाही तरीके से काम किया. किसी भी तरह के नियम या प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. हमारे प्रस्तावों पर चर्चा किए बगैर खारिज कर दिया.'
टीएमसी नेता के आरोपों को जगदंबिका पाल ने बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि वक्फ बिल पर पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी और बहुमत की रय को स्वीकार किया गया. समिति द्वारा प्रस्तावित अधिक महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक यह है कि मौजूदा वक्फ संपत्तियों पर उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ के आधार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है, जो वर्तमान कानून में मौजूद है.
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वक्फ संशोधन बिल के नए स्वरूप में इसे हटा दिया जाएगा, जहां संपत्तियों को केवल धार्मिक इस्तेमाल के उद्देश्यों के लिए लंबे समय तक उपयोग के आधार पर वक्फ माना जा सकता है.
विपक्ष द्वारा 44 प्रावधान रखे गए
पाल ने कहा कि विधेयक के 14 प्रावधानों में NDA सदस्यों द्वारा पेश संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया है. विपक्षी सदस्यों ने सभी 44 प्रावधानों में सैकड़ों संशोधन पेश किए और उनमें से सभी को मत विभाजन से खारिज कर दिया गया. वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने गत 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था और इसके बाद इसे संयुक्त समिति को भेज दिया गया था.
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14 संशोधनों के साथ वक्फ संशोधन बिल को JPC की मंजूरी, विपक्ष बोला- नियमों का नहीं हुआ पालन