डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के धार्मिक शहर जोशीमठ में बड़ी तबाही (Joshimath Crisis) के संकेत मिल रहे हैं जिसके चलते शहर को आपदा प्रभावित घोषित कर दिया गया है. ऐसे में बड़ी आपदा से पहले केंद्र और राज्य की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्थिति से निपटने की प्लानिंग कर रही हैं. इस बीच अब खास बात यह है कि जोशीमठ की इस आपदा को लेकर काफी पहले से चेतावनी दी जा रही थीं लेकिन किसी ने उस वक्त इन पर ध्यान नहीं दिया गया. कुछ इसी उत्तराखंड के कई और शहर हैं, जहां आपदा को लेकर चेतावनियां दी जाती रही हैं लेकिन उन्हें अभी हल्के में लिया जा रहा है.
दरअसल, वैज्ञानिकों औऱ विशेषज्ञों का कहना है कि खतरा केवल जोशीमठ को ही नहीं बल्कि नैनीताल औऱ उत्तरकाशी में भी बढ़ रहा है. यहां भी भूध्वंस की खबरें आती रहती हैं जिससे एक बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है. कमाऊं यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक प्रोफेसर बहादुर सिंह कोटलिया के मुताबिक जोशीमठ की ही तरह नैनीताल, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग और चंपावत भी भूधंसाव की जद में हैं.
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विशेषज्ञों का कहना है कि इन शहरों में कभी भी संकट गहरा सकता है. इसके पीछे मानवीय गतिविधियां और टो-इरोजन जिम्मेदार है. बताया गया है कि यहां बड़ी संख्या में लोगों का पहुंचना, ज्यादा और संवेदनशील निर्माण के साथ खनन मुसीबत बनता रहा है. इस घटना को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि जोशीमठ में जो स्थिति बनी है इसके पीछे 'मेन सेंट्रल थ्रस्ट' जिम्मेदार है. यह एक भूवैज्ञानिक प्रक्रिया है. इस वजह से भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसकती है. इसी गतिविधि को यहां आने वाला भूकंप के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है.
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इसके अलावा पहाड़ों से आने वाले पानी के मार्ग में बाधा भी इस भूधंसाव की एक बड़ी वजह हो सकती है. बारिश या बर्फबारी के बाद नदियों में पानी ना पहुंच पाने की वजह से बहुत सारा पानी जमीन में प्रवेश कर जाता है जो कि बाद में अपना रास्ता बनाता है, भूमि खोखली होती जाती है. बता दें कि पीएमओ ने हाईलेवल बैठक बुलाई थी जिसके बाद एक टीम को जोशीमठ भेजा जा रहा है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने सीएम धामी को फोन करके हर प्रकार से मदद करने का आश्वासन दिया है. इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारें एक साथ काम कर रही हैं.
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जोशीमठ के बाद अब उत्तराखंड के इस फेमस हिल स्टेशन पर है खतरा, जाने से पहले 10 बार सोचें