डीएनए हिंदी: झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद (Naxalism) के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई चल रही है. इस लड़ाई में झारखंड को बड़ी 'कीमत' चुकानी पड़ रही है. नक्सलियों पर अंकुश लगाने के लिए झारखंड में पैरा मिलिट्री फोर्सेज (Para Military Forces) की तैनाती की जाती है. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती की वजह से झारखंड सरकार (Jharkhand Government) कर्जदार हो गई है. सीआरपीएफ (CRPF) ने राज्य सरकार पर 10,297 करोड़ की देनदारी बकाया होने की बात कही है. आपको बता दें कि वर्तमान में झारखंड में 19 बटालियन तैनात हैं. इसके अलावा, सीमा सशस्त्र बल (एसएसबी) की भी दो बटालियन तैनात हैं.
सीआरपीएफ के दिल्ली स्थित हेडक्वार्टर ने बकाया के भुगतान को लेकर झारखंड के मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी की प्रति राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भी भेजी गई है. इसमें बकाया की पूरी जानकारी दी गई है. सीआरपीएफ ने सरकार से आग्रह किया है कि झारखंड में CRPF की तैनाती के एवज में पूरी राशि का भुगतान 90 दिनों में सुनिश्चित कराया जाए. इस अवधि में भुगतान किए जाने पर पांच प्रतिशत की रियायत दी जाएगी. ऐसा न होने पर इस राशि पर 2.5 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा.
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झारखंड में तैनात हैं 21 बटालियन
राज्य में सीआरपीएफ और एसएसबी की कुल 21 बटालियन तैनात हैं. इन्हें मुख्य तौर पर राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में लगाया गया है. इन अर्धसैनिक बलों की तैनाती पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा वक्त से है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल अपनी समीक्षा में पूरे देश में नक्सलियों के प्रभाव वाले कुल जिलों की संख्या 70 पाई थी. इनमें से नक्सलवाद से अति प्रभावित जिलों की संख्या 25 है. झारखंड में आठ जिले नक्सलियों के अति प्रभाव वाले हैं जबकि आठ अन्य जिले सामान्य प्रभाव वाले माने गये हैं. अति माओवाद प्रभावित जिलों में चतरा, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, सरायकेला- खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम हैं जबकि सामान्य प्रभाव वाले जिलों में रांची, बोकारो, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, सिमडेगा, गढ़वा, गिरिडीह और हजारीबाग शामिल हैं. इनमें गढ़वा जिले के बूढ़ा पहाड़ में नक्सलियों की बढ़ती हुई गतिविधियों को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सर्न के तौर पर चिह्नित किया गया है.
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इन सभी जिलों में आईबी और पुलिस की खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्सेज की मदद से अभियान लगातार जारी है और नक्सलियों के प्रभाव में एक हद तक कमी भी आयी है. पिछले साल यानी 2021 की बात करें तो झारखंड में 410 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया. इनमें माओवादी नक्सलियों के शीर्ष रणनीतिकारों में शामिल एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस भी शामिल था.
पांच साल में 17 नक्सलियों ने किया सरेंडर
बीते साल पांच नक्सली मुठभेड़ में मारे गए थे. इनमें बुद्धेश्वर उरांव, सनिचर सुरीन, महेश जी, विनोद भुइयां शामिल थे. झारखंड पुलिस के सामने 17 नक्सलियों ने पिछले साल आत्मसमर्पण भी किया था. इस साल यानी 2022 में अब तक 200 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है जबकि एक दर्जन से ज्यादा ने पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने हथियार डाले हैं. पिछले साल नक्सलियों द्वारा अंजाम दिए गए वारदातों की संख्या 96 रही.
राज्य में कुल मिलाकर नक्सलियों की संख्या अब कुछ हजार ही रह गई है लेकिन नक्सल प्रभावित जिलों में विधि-व्यवस्था और अमन-चैन कायम करने के लिए केंद्रीय बलों की 132 कंपनियां तैनात हैं. केंद्रीय एवं पुलिस बलों को मिलाकर लगभग 85 हजार जवान राज्य में तैनात हैं.
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Naxalism के खिलाफ़ जंग में कर्ज के बोझ तले दब गया झारखंड, CRPF ने भेजा 10,297 करोड़ का बिल