डीएनए हिंदी: द रेसिस्टेंस फ्रंट, शॉर्ट फ्रॉम TRF. जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) में सुरक्षाबलों (Security Forces) और आम नागरिकों के लिए यह आतंकवादी संगठन हर दिन मुसीबत पैदा कर रहा है. घाटी में एक बार फिर तेजी से फैल रहे आतंकवाद के पीछे यह संगठन ही जिम्मेदार माना जाता है.
गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने इस संगठन को 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' को आतंकवादी संगठन घोषित करते हुए उसके सफाए के लिए अंतिम कार्रवाई शुरू का दी है. खुफिया एजेंसियों का कहना है कि टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा (LeT) आतंकवादी समूह की एक शाखा है.
गृह मंत्रालय ने लश्कर के मोहम्मद अमीन उर्फ अबू खुबैब को भी आतंकवादी घोषित किया है, जो जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखता है. माना जाता है कि मोहम्मद अमीन उर्फ अबू खुबैब अफगानिस्तान से काम करता है और जम्मू क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है.
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घाटी को तबाह करने में जुटा TRF, लोगों के मन में जहर घोल रहा संगठन
TRF जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से युवाओं को उग्रवाद में भर्ती कर रहा है. यह संगठन आतंकी गतिविधियों पर दुष्प्रचार करने में भी शामिल रहा है. TRF आतंकवादियों की भर्ती और घुसपैठ और आतंकवाद को हवा देने के लिए पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल है.
गृहमंत्रालय ने घोषित किया आतंकी संगठन
TRF जम्मू और कश्मीर के लोगों को भारतीय राज्य के खिलाफ आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा है. गृह मंत्रालय ने कमांडर शेख सज्जाद गुल को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवादी (Terrorist) घोषित किया है.
घाटी में आतंक का पर्याय बन गया TRF
TRF की गतिविधियों को राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की संप्रभुता के लिए हानिकारक बताते हुए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि टीआरएफ के सदस्यों और सहयोगियों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं.
गृह मंत्रालय ने जोर देकर कहा, केंद्र सरकार का मानना है कि संगठन आतंकवाद में शामिल है और इसने देश भर में आतंक के विभिन्न कृत्यों को अंजाम दिया है और इसमें भाग लिया है.
कब अस्तित्व में आया यह आतंकी संगठन?
TRF 2019 में लश्कर के प्रॉक्सी संगठन के रूप में अस्तित्व में आया. TRF प्रवासी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ धमकियां जारी करने के अलावा स्थानीय अखबारों के संपादकों सहित स्थानीय पत्रकारों को भी धमकी दी है.
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि मोहम्मद अमीन उर्फ अबू खुबैब, जो जम्मू-कश्मीर का है, लेकिन अब पाकिस्तान में रहता है, लश्कर के लॉन्चिंग कमांडर के रूप में काम कर रहा है. उसने आतंकवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और तेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सीमा पार एजेंसियों के साथ एक नेटवर्क तैयार किया है.
हथियार, टेरर फंडिंग, दहशत, अब होगा एक्शन
खुफिया एजेंसियों का दावा है, वह आतंकवादी हमलों के कॉर्डिनेशन में शामिल है, सीमा पार से हथियारों और विस्फोटकों की आपूर्ति और टेरर फंडिंग में शामिल है. गृह मंत्रालय की अधिसूचना के बाद प्रशासन प्रतिबंधित संगठन के कैडर की संपत्तियों, बैंक खातों और अन्य संपत्तियों चल और अचल को जब्त और कुर्क कर सकता है. इसके अलावा प्रशासन प्रतिबंधित संगठनों और व्यक्तियों की गतिविधियों को कुचलने के लिए विभिन्न विकल्पों की तलाश कर रहा है.
क्यों गृहमंत्रालय ने लिया है एक्शन?
गृह मंत्रालय का यह फैसला राजौरी जिले के धंगरी गांव में हुए आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के छह नागरिकों की दो आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी, जबकि दर्जन भर से अधिक लोग घायल हो गए थे.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने राजौरी हमलों के लिए जिम्मेदार दो आतंकवादियों की सूचना देने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पीड़ितों के परिजनों को सरकारी नौकरी व 10-10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. (इनपुट: IANS)
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