डीएनए हिंदी: इजरायल आकार में भारत के केरल राज्य से भी छोटा है, लेकिन दुश्मनों को लेकर वो हमेशा सख्त रहा है. उसके तमाम पड़ोसी देश मुस्लिम देश हैं. इनमें से ज्यादातर इजरायल के कट्टर दुश्मन हैं, जो उसपर हमले की ताक में रहते है. एक बार फिर इजरायल पर संकट की घड़ी है और इसके 150 नागरिक बंधक बनाए गए हैं. खबर है कि इन पबंधकों को छुड़ाने के लिए स्पेशल फोर्स सायरेत मतकल को सौंपा है. जानें क्या है यह और कैसे दुश्मनों पर कहर बनकर टूटती है. इजरायल का इतिहास आप देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह देश न तो डरा है और न कभी पीछे हटा है. इजरायल का इतिहास रहा है कि वो अपने दुश्मनों को चुन-चुनकर मारता है. उसकी एजेंसियां हजारों किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन की हर हरकत पर नज़र रखती है.
7 अक्टूबर को फिलिस्तीन समर्थित आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला किया था. इसके बाद से ही इजरायल की सेना गाज़ा में जबरदस्त बमबारी कर रही है. हमास के हजार से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके है. इजरायल अब गाज़ा में उसी तरह की कार्रवाई कर रहा है जैसा उसका इतिहास रहा है. यानी दुश्मन को घर में घुसकर मारना. हमास ने इजरायल के सैकड़ों लोगों को बंधक बना रखा है. हमास ने कहा है कि अगर इजरायल ने बमबारी नहीं रोकी तो वो बंधकों को मार देगा. हमास की धमकी के बाद अब इजरायल बंधकों को छुड़ाने के लिए अपनी स्पेशल फोर्स सायरेत मतकल को उतारने वाला है.
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दुनिया की सबसे खतरनाक स्पेशल फोर्स है सायरेत मतकल
इजरायल की सायरेत मतकल दुनिया की सबसे खतरनाक स्पेशल फोर्स मानी जाती है. सायरेत मतकल के खतरनाक कमांडो ऐसे कई ऑपरेशन को अंजाम दे चुके है, जिनकी वजह से दुनिया इजरायल की इस फोर्स का लोहा मानती है. आज हमने इजरायल की इस स्पेशल फोर्स पर एक REPORT तैयार की है. इसे देखकर आपको पता चलेगा कि इजरायल क्यों सायरेत मतकल पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है. इजरायल को अपनी इस स्पेशल फोर्स पर सबसे ज्यादा भरोसा है. इस फोर्स के कमांडो सबसे मुश्किल ऑपरेशन को पलक झपकते ही अंजाम तक पहुंचा देते है. खतरनाक हथियारों से लैस हर कमांडो दुश्मन का काल माना जाता है.
7 अक्टूबर के हमले के बाद हमास के आतंकियों ने सैकड़ों इजरायलियों को बंधक बनाया हुआ है. हमास के आतंकी हर दिन बंधकों को मौत के घाट उतारने की धमकी दे रहे है. इसलिए इजरायल अब अपनी स्पेशल फोर्स सायरेत मतकल को युद्ध के मैदान में उतारने जा रहा है. जिनका काम होगा हमास के कब्जे से बंधकों को छुड़ाना और आतंकियों का कामतमाम करना.
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सायरेत मतकल है दुश्मनों की काल
सायरेत मतकल की गिनती दुनिया की सबसे खतरनाक स्पेशल फोर्स में होती है. इस फोर्स में शामिल हर कमांडो का निशाना अचूक है. मतलब ये कि दुश्मन दिखते ही उसकी मौत की गारंटी तय है. इजरायल की इस स्पेशल फोर्स की गतिविधियों बेहद सीक्रेट रही है. ये स्पेशल फोर्स कहां, कब, कैसे ऑपरेशन को अंजाम देगी, इसकी भनक इजरायल के सिर्फ टॉप लीडर्स और इस फोर्स के टॉप कमांडर को ही होती है.
सायरेत मतकल के बारे में जानें खास बातें
- इजरायल में सायरेत मतकल का गठन वर्ष 1957 में हुआ था.
- इसे बनाने का मकसद इजरायल के बाहर खुफिया, काउंटर टेरेरिज्म को अंजाम देना है.
- सायरेत मतकल को आतंकवाद विरोधी और बंधकों को मुक्त कराने का काम भी सौंपा जाता है.
- इजरायल ने अपनी इस फोर्स को ब्रिटेन की स्पेशल एयर सर्विस के तर्ज पर बनाया है.
- इजरायल की सायरेत मतकल अपने गठन के बाद देश-विदेश में अबतक 22 बड़े आपरेशंस को अंजाम दे चुकी हैं
- सायरेत मतकल के कमांडो की ट्रेनिंग सबसे मुश्किल मानी जाती है.
- इस फोर्स में शामिल होने के लिए कई दिनों की कड़ी ट्रेनिंग और फिजिकल टेस्ट से गुजरना पड़ता है.
- ट्रेनिंग में मार्शल आर्ट्स, नेविगेशन, जासूसी, बचाव और छोटे हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है. - इस प्रोग्राम में बेसिक इंफ्रेंट्री ट्रेनिंग स्कूल, पैराशूट 'ट्रेनिंग स्कूल और आंतकवाद विरोधी ट्रेनिंग देने वाले सेंटर्स में रहना होता है.
- फाइनल स्टेज में कैंडीडेट को 120 किलोमीटर का रास्ता 4 दिन में पूरा करना होता है.
सायरेत मतकल का एक ही ध्येय होता है, दुश्मन का खात्मा
किसी ऑपरेशन के लिए जब इस फोर्स के कमांडो निकलते हैं तो इनकी वर्दी भी बेहद खास होती है. हर कमांडो के सिर पर हेलमेट होता है. इजरायल के ये कमांडो खतरनाक असॉल्ट राइफल से लैस होते है. इसके अलावा इनके पास स्मॉक ग्रेनेड, चाकू, रस्सी, हाथों में दस्ताने होते है. इनके जूते भी बेहद हल्के होते है, ताकि इन्हें ऑपरेशन को अंजाम देने में किसी तरह की कोई दिक्कत न हो.
सायरेत मतकल के कमांडो कई रात बगैर सोए अपने काम को अंजाम देने में माहिर माने जाते है. यही वजह है कि एक बार ऑपरेशन में शामिल होने के बाद इनका बस एक ही टारगेट होता है दुश्मन का खात्मा. नेतन्याहू ने बंधकों को छुड़ाने का काम सायरेत मतकल को सौंप दिया है जो अपने काम को अंजाम तक पहुंचाने में माहिर माने जाते हैं.
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