Sangam water pollution: बीते दिनों ये खबरें जोरों पर थीं कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के त्रिवेणी संगम का पानी नहाने लायक नहीं है. बहस इतनी बढ़ी कि अभी तक शांत नहीं हुई है. हाल ही में संगम के पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के बढ़े हुए स्तर को लेकर चिंता जताई गई. इसकी वजह से पानी की शुद्धता पर सवाल खड़े किए गए. हालांकि, इस रिपोर्ट पर विशेषज्ञों का मानना है कि इस पर निष्कर्ष अभी अधूरे हैं और गहन जांच की जरूरत है.
संगम के पानी विवाद पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बयान देते हुए कहा था कि संगम के पानी की क्वालिटी को लगातार मॉनिटर किया जा रहा है और जल को शुद्ध करके ही प्रवाहित किया जा रहा है. उन्होंने राज्य विधानसभा में कहा कि संगम के पानी की क्वालिटी पर सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि वहां के सभी पाइप और नालों को बंद कर दिया गया है और जल को शुद्ध करने के बाद ही छोड़ा जा रहा है.
क्या है विशेषज्ञों की राय
संगम के पानी को लेकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के एसोसिएट प्रोफेसर आर.के. रंजन ने अपने विचार रखे हैं. प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि CPCB को इस रिपोर्ट पर और काम करने की जरूरत है, क्योंकि इसमें नाइट्रेट और फॉस्फेट की मात्रा से संबंधित आंकड़े नहीं दिए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि जब मैंने रिपोर्ट का विश्लेषण किया, तो पाया कि कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े गायब हैं. आपको बता दें, नाइट्रेट और फॉस्फेट की मात्रा से यह पता चलता है कि जल में सीवेज पानी मिला है या नहीं. प्रोफेसर ने कहा कि संगम का पानी नहाने के लिए सुरक्षित है. रिपोर्ट में घुलित ऑक्सीजन का लेवल उत्तम श्रेणी का दिखाया गया है, जो पानी की क्वालिटी को अच्छा बताता है.
वहीं, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के एसोसिएट प्रोफेसर आर.के. रंजन ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि संगम के पानी को असुरक्षित बताने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) का डेटा असंगत है. यह कहना कि संगम का पानी नहाने योग्य नहीं है, जल्दबाजी होगी. उनके के अनुसार, ऐसे आंकड़े अन्य जगहों जैसे गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर, बक्सर और पटना में भी देखे जा सकते हैं. इससे यह साबित नहीं होता कि संगम का पानी नहाने योग्य नहीं है. यह भी महत्वपूर्ण है कि सैंपल कहां से और किस समय लिया गया.
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कितने लोग लगा चुके हैं संगम में डुबकी
महाकुम्भ में अब तक 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं. इस संख्या को महारिकॉर्ड के रूप में देखा जा रहा है. वहीं, पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में यह सिद्ध कर दिया है कि गंगा का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि अल्कलाइन वाटर जैसा शुद्ध है.
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क्या सच में नहाने लायक नहीं संगम का पानी, क्या है एक्सपर्ट का जवाब, समझें आपके काम की बात