India Pakistan ceasefire: बीता दिन यानी 10 मई 2025 भारत और पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा दिन था. दरअसल पिछले 4 दिनों से भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी मची हुई थी. दोनों ही देशों की सेना एक दूसरे पर घात-प्रतिघात कर रही थी लेकिन कल शाम ऐलान हुआ था कि दोनों देशों के DGMO की बात हुई है और सीजफायर पर सहमति बन गई है. अब किसी भी देश की तरफ से हमला नहीं किया जाएगा. तीनों जल, थल और वायू सेना को आदेश दिया गया था कि किसी भी तरह का हमला अब नियम के विरुद्ध हैं, पर ऐसा हुआ नहीं बल्कि सीजफायर के कुछ घंटों बाद ही भारतीय सीमा में पाकिस्तान के ड्रोन्स देखें गए हैं.
अमेरिका की एंट्री
हालांकि भारत के पास एयर डिफेंस सिस्टम के नाम पर ऐसी शक्ति मौजूद है जो पाकिस्तान द्वारा किए जाने वाले सभी हमलों को नाकाम कर दे रही है और ड्रोन्स, मिसाइलों को देखते ही हवा में खत्म कर देती है. भारत ने एक के बाद एक पाकिस्तान के कई एयरबेस को तबाह कर दिया था. पाकिस्तान ने भारत को फतेह मिसाइल से टारगेट किया लेकिन उसे भी एस-400 ने हवा में खत्म कर दिया. भारत की तरफ से पाकिस्तान में कल यानी 10 मई को भी प्रलय जारी थी कि तभी आचनाक अमेरिका की एंट्री हुई.
सीजफायर को लेकर बनी सहमति
अमरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ऐलान किया ही दोनों देशों के बीच सीजफायर को लेकर सहमति बन गई है. अब से भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही जंग बंद हो जाएंगी और दोनों तरफ से हमले रुक जाएंगे. तभी से लोगों के मन में सवाल आ रहा है कि जो अमेरिका 8 मई तक भारत -पाकिस्तान मामले में दूरी बनाए हुए था फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि बीच में वह सरपंच बन बैठा. यह सवाल कई मायनों में अहम हो जाता है.
जब अमेरिका नहीं था इनवॉल्ब तो फिर क्यों बना 'चौधरी'
इसके पीछे वजह है कि दो दिन पहले ही अमेरिका उपराष्ट्रपति जेडी वेंस कह रहे थे कि भारत और पाकिस्तान के संघर्ष में अमेरिका क्या कर सकता है. वह एक तरह से तनाव कम करने की संभावित अमेरिकी पहल को डाउनप्ले कर रहे थे. उन्होंने यहां तक कह दिया कि इसमें इन्वॉल्व होना हमारा 'बिजनस' नहीं है. अब अगर भारत और पाक के बीच चल रही तनातनी में अमरेका का इनवॉल्ब होना उसका बिजनेस नहीं है तो फिर ट्रंप भारत-पाक के बीच सरपंच क्यों बनें?
बडे़ हमले की थी तैयारी तभी आई सीजफायर की खबर
शनिवार की सुबह जब खबर आई कि पाकिस्तान ने भारत पर हाई रेंज मिसालइल से अटैक किया हो तो तनाव और बढ़ गया है. पाकिस्तान की तरफ ने लगातार कई मिसाइलों से हमला किया. पाकिस्तान के लगातार ड्रोन हमलों और गोलीबारी का भारत ने इतना करारा जवाब दिया जिसकी पड़ोसी को उम्मीद भी नहीं रही होगी. भारतीय सेना ने पाक के कई एयरबेस और लॉन्चपैड तबाह कर दिए. स्थिति देखकर तो माना जा रहा था कि पाकिस्तान पर भारत की तरफ से कोई बड़ा हमला किया जाना है. दोनों ही देशों की तरफ से गोलाबारी रुक नहीं रही थी कि तभी खबर आई थी कि अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर के बीच बातचीत हुई है.
पाकिस्तान को हुआ एहसास
यही वो प्वाइंट था जहां से इस सीजफायर की पटकथा लिखनी शुरू हई. पाकिस्तान की हर बार की आदत है कि पहले बड़े-बड़े दावे और फिर अंत में जब पता चल जाए अब बस सब कुछ खत्म होने वाला है तो भाग के दूरसे के पास मदद के लिए पहुंच जाता है. ऐसा ही इस बार भी हुआ अमेरिका को इस मामले से दूर ही था कि तभी पाकिस्तान भागकर गया और अमेरिका से मदद की गुहार लगाई. इस समय तक पाकिस्तान को एहसास हो चकुा था कि अब कदम पीछे खीचने होंगे नहीं तो भारत का एक्शन रुकने वाला नहीं हैं और अगर वह चुप हो गया तो फिर पाक की आवाम के सामने उसकी बेइज्जती होगी. पाकिस्तान की बात जेडी वेंस के जरिए ट्रंप तक पहुंच गई.
इंजत ढंकने के लिए पाक पहुंचा अमेरिका
इधर भारत दनादन पाकिस्तान पर हमला किए जा रहा था. भारत ने जंग की शुरुआत की नहीं थी तो उसकी तरफ से इस पहल का कोई मतलब नहीं बनता था. अब इस पूरे मामले को समझे तो पता चलता है कि अमेरिका की आंड़ में पाक ने अपनी बची हुई इंजत ढंकने का स्क्रिप्ट तैयार कर ली. इनता सब चल ही रहा था कि शाम को ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बन चुकी है. अब किसी भी तहफ से कोई हमला नहीं किया जाएंगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का ट्वीट
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट करते हुए लिखा कि "अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात तक चली बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बन गई है और पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं." ट्रम्प ने कहा, "सामान्य बुद्धि और महान बुद्धिमत्ता का उपयोग करने के लिए दोनों देशों को बधाई. इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!"
DGMO के बीच बातचीत
भारत सरकार की ओर से बताया गया है कि पाकिस्तान के आग्रह पर DGMO स्तर की बातचीत के बाद सीजफायर अग्रीमेंट हुआ. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार शाम में बताया, 'पाकिस्तान के डीजीएमओ (Director General of Military Operations) ने दोपहर बाद 3.35 बजे भारत के डीजीएमओ से बात की. इस दौरान दोनों पक्ष शाम 5 बजे से थल, जल और वायु क्षेत्र में किसी भी फायरिंग या सैन्य कार्रवाई बंद करने पर सहमत हुए.' भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई हैं और पाकिस्तान के मेजर जनरल कासिफ अब्दुल्ला. कल इन्हीं के बीच बातचीत में सीजफायर पर सहमति बनी.
किसी तीसरे का दखल नहीं पसंद
वैसे बता दें कि भारत को अपने मामलों किसी तीसरे का दखल पसंद नहीं हैं फिर चाहे में मामला पाकिस्तान का हो या फिर चीन का भारत ने अभी तक कभी किसी दूसरे देश को बीच में लाकर खड़ा नहीं किया. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के डीजीएमओ कासिफ अब्दुल्ला ने शनिवार सुबह 9 बजे के करीब ही भारत के डीजीएमओ राजीव घई से हॉटलाइन पर बात शुरू कर दी थी. तब तक अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो और पाक आर्मी चीफ की बातचीत हो गई थी. विक्रम मिसरी भी शनिवार सुबह 10.50 पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए थे तो उन्होंने भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी.
आखिर हुआ क्या था?
खबर ये भी है कि CNN की रिपोर्ट के मुताबिक संघर्ष बढ़ने की खूफिया जानकारी को लेकर अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने पीएम नरेंद्र मोदी को फोन किया. अमेरिका शासन के अधिकारियों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तीन अधिकारियों ने अमेरिका सरकार से साफ कहा कि अब US को दखल देना चाहिए. दूसरी तरफ जब सीजफायर लागू हो गया तो आधीरात को पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने अमेरिकी की तारीफ में कसीदें पढ़े है. रात में 9 बजे के करीब शहबाज ने ट्वीट में राष्ट्रपति ट्रंप का शुक्रिया अदा करते हुए अमेरिका की तारीफ की. उन्होंने दक्षिण एशिया में शांति कायम करने के लिए जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो के योगदान की प्रशंसा की.
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जो अमेरिका भारत-पाक मामले से दूर था फिर अचानक क्यों मारी एंट्री, दोनों देशों के बीच Ceasefire के लिए क्यों बना 'सरपंच'