ऑपरेशन सिंदूर पर आज पूरा देश गर्व कर रहा है. भारतीय सेना (Indian Army) ने इस टॉप सीक्रेट मिशन को बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया है. इस ऑपरेशन की जानकारी पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) समेत बेहद कम लोगों को ही थी. हमले के लिए अंतिम फैसला एनएसए अजीत डोभाल का था. एनएसए (NSA) डोवाल से ग्रीन सिग्नल मिलते ही इंडियन एयरक्राफ्ट ने आतंकी ठिकानों पर हमलों को अंजाम दिया था. 6 और 7 मई की दरमियानी रात भारतीय जल, थल और वायु सेना ने संयुक्त ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को तबाह कर दिया. जानें इस ऑपरेशन को अंजाम देने की तैयारी कैसे की गई और किस तरह से इसे अंतिम रूप दिया गया.
NSA अजित डोभाल ने संभाली थी ऑपरेशन सिंदूर की कमान
ऑपरेशन सिंदूर की कमान एनएसए अजित डोभाल के हाथों में थी. पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सैन्य प्रमुखों के अलावा इस ऑपरेशन की जानकारी बहुत चुनिंदा लोगों को ही दी गई थी. नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल के साथ एनटीआरओ की भी इसमें अहम भूमिका रही. इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए एक खास टीम बनाई गई थी और कंट्रोल रूम तैयार किया गया था. इस कंट्रोल रूम की कमान खुद डोभाल ने संभाली थी और टीम के लिए भी बेहद तेज-तर्रार अधिकारियों को चुना गया था. हमले का पुख्ता प्लान तैयार करने के बाद इसके ब्लू प्रिंट के साथ एनएसए और सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और पूरे मिशन को अंजाम देने के बारे में बताया था.
आतंकियों के ठिकाने और हरकतों पर थी भारत की नजर
ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले कई चरणों में इसकी तैयारी की गई थी. पहले चरण में इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान के अंदर चल रही गतिविधियों के बारे में इनपुट इकट्ठा कर इसकी ब्रीफिंग की थी. इसके बाद आतंकियों के ठिकानों की सिलसिलेवार तरीके से पहचान की गई. पहलगाम अटैक के बाद आतंकी शिविरों के जगह बदलने की भी सूचना थी. इन सभी ठिकानों को चिह्नित किया गया था. भारत ने इन सभी ठिकानों पर पैनी नजर बनाए रखते हुए हर हलचल की मॉनिटरिंग की. इस प्लान के साथ पीएम मोदी की गंभीर और कई राउंड चर्चा हुई और आखिरी में इसे अंजाम देने के लिए ग्रीन सिग्नल मिल गया. ऑपरेशन की शुरुआत से अंत तक पीएम मोदी खुद भी मॉनिटरिंग कर रहे थे.
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चुनिंदा लोगों को ही थी ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी
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