डीएनए हिंदी: भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO ने सूरज पर अपना पहला मिशन सफलापूर्वक भेज दिया है. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसे PSLV C 57 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया है. यह मिशन सूरज के पास L1 प्वाइंट तक लगभग 4 महीने के बाद पहुंचेगा. इस मिशन के जरिए इसरो का लक्ष्य सूरज का अध्ययन करना है. इसीलिए इस मिशन के साथ कुल 7 पेलोड भेजे गए हैं, जो अलग-अलग डेटा इकट्ठा करके ISRO तक भेजते रहेंगे.
पहले कुछ दिनों तक यह आदित्य L1 मिशन पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा. इसके बाद इसे पृथ्वी की कक्षा से निकालकर सूरज की ओर भेजा जाएगा. वहां लैग्रेंज प्वाइंट पर पहुंचने के बाद यह रुक जाएगा. L1 प्वाइंट खास इसलिए है कि यहां से सूर्य ग्रहण की स्थिति में भी सूरज पर नजर रखी जा सकती है और इससे रिसर्च में किसी तरह की बाधा नहीं आती है.
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क्या है लैग्रेंज प्वाइंट?
इस मिशन में सबसे ज्यादा चर्चा में L-1 प्वाइंट की ही हो रही है. बता दें कि धरती और सूरज के बीच कुल पांच प्वाइंट ऐसे हैं जहां सूरज और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस यानी शून्य हो जाता है और सेंट्रीफ्यूगल फोर्स बन जाता है. यानी इस जगह पर कोई भी चीज पहुंचती है तो वह दोनों के बीच स्थिर हो जाती है और कम ऊर्जा खर्च होती है. बता दें कि यह प्वाइंट धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है.
#WATCH | Visuals from Satish Dhawan Space Centre (SDSC) SHAR, Sriharikota after the launch of Aditya-L1.
— ANI (@ANI) September 2, 2023
The third stage of the separation of PSLV has been completed. pic.twitter.com/b88rRvXNSr
क्यों भेजा गया है आदित्य L1 मिशन?
आदित्य L-1 मिशन के साथ भेजे गए कुल सात पेलोड दो कैटगरी में बांटे गए हैं. चार पेलोड रिमोट सेंसिंग वाले हैं और 3 ऐसे हैं जो इन-सीटू प्रोसेस में काम करेंगे. VELC इमेजिंग का काम करेगा, SUIT फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की इमेजिंग करेगा, SoLEXS एक सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है और HEL1OS हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है.
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इसके अलावा, ASPEX सोलर विंड, प्रोटान और अन्य आयनों का अध्ययन करेगा, PAPA इलेक्ट्रॉन और अन्य आयनों और उनकी दिशाओं का अध्ययन करेगा और अडवांस ट्राई-एग्जियल हाई रेजॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स इन सीटू मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा.
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तय कक्षा में पहुंच गया Aditya L1, 4 महीने का सफर शुरू