डीएनए हिंदी: भारत के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. सीटों के हिसाब से सबसे कम संख्या मिजोरम में है और सबसे कम चर्चा भी मिजोरम की हो रही है. हालांकि, मिजोरम का चुनाव छोटा होने के बावजूद रोचक होता है. इस बार विधानसभा चुनाव के लिए 7 नवंबर को वोटिंग होनी है. सभी पांचों राज्यों के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. 40 विधानसभा सीटों वाले मिजोरम में मुख्य लड़ाई सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट और कांग्रेस पार्टी के बीच है. 2018 में मिजो नेशनल फ्रंट ने एकतरफा जीत हासिल की थी और जोरामथंगा मुख्यमंत्री बने थे.
शुरुआत में मिजोरम भी असम का ही हिस्सा हुआ करता था. साल 1972 में मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश बना. आगे चलकर केंद्र सरकार, मिजोरम सरकार और उस समय के अलगाववादी संगठन मिजो नेशनल फ्रंट के बीच एक समझौता हुआ. इसी समझौते के तहत 20 फरवरी 1987 को मिजोरम भारत का 23वां राज्य बन गया. उसी साल विधानसभा के चुनाव भी हुए. तब से ही कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट के बीच सत्ता की अदला-बदली होती रही है.
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क्या है मिजोरम का इतिहास?
मिजोरम के बारे में वैसे तो कई अलग-अलग राय हैं. सबसे प्रचलित मत यह है कि चीन से विस्थापित हुए मंगोलियाई मूल के लोग आज के मिजोरम में आकर बसे थे. इनके पूर्वज चीन में यालुंग नदी के किनारे बसे शिनलुंग के निवासी थे. 16वीं सदी के मध्य में ये लोग चिन हिल्स में बसने लगे थे. शुरुआत में भारत आए मिजो लोगों को कुकी कहा जाता था. दूसरी लहर में जो लोग आए उन्हें न्यू कुकी कहा गया. फिर आखिर में लुहासी आए और भारत में बस गए. 1895 में तमाम संघर्षों के बाद मिजोरम को ब्रिटिश शासित भारत का हिस्सा बना दिया गया. तब नॉर्थ और साउथ हिल्स को मिलाकर लुहासी जिला बनाया गया और 1898 में अइजवल को इसका हेडक्वार्टर बना दिया गया.
9 अप्रैल 1946 को मिजो कॉमन पीपल्स यूनियन नाम की एक पार्टी बनाई गई और ब्रिटिश काल में पहली बार लोगों में राजनीतिक चेतना आई. बाद में नॉर्थ ईस्ट के मुद्दों के लिए भारत की संविधान सभा ने एक कमेटी बनाई. गोपीनाथ बोरदोलोई की अगुवाई में बनी इस कमेटी के सामने मिजो यूनियन ने प्रस्ताव रखा कि मिजो इलाकों को भी भारत में शामिल किया जाए. वहीं, एक नई पार्टी यूनाइटेड मिजो फ्रीडम ने मांग की थी कि लुहासी हिल्स बर्मा (म्यांमार) में शामिल हो.
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बोरदोलोई कमेटी के सुझावों के आधार पर सरकार ने मिजोरम की स्वायत्तता स्वीकार की और यहां संविधान की 6ठी अनुसूची लागू की गई. साल 1952 में लुहासी हिल्स ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल का गठन किया गया और कबीलों के सरकार जैसी व्यवस्था को खत्म कर दिया गया. बाद में मांग होने लगी कि त्रिपुरा और मणिपुर के भी उन इलाकों को जोड़ा जाए जहां मिजो लोग रहते हैं. राज्य पुनर्गठन आयोग के इस सुझाव पर लोगों ने आपत्ति जताई और 1955 में ईस्टर्न इंडिया यूनियन (EITU) नाम से एक और पार्टी बन गई. इसी पार्टी ने असम से सभी पहाड़ी जिलों को अलग करके एक राज्य बनाने की मांग करने लगे. मिजो यूनियन भी दोफाड़ हो गई और एक हिस्सा इसी EITU में शामिल हो गई. लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद 1987 में मिजोरम अलग राज्य बन पाया.
मिजोरम के बारे में रोचक तथ्य
- 40 में से 39 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित
- सिर्फ एक सीट पर सामान्य कैटेगरी के लोग लड़ सकते हैं चुनाव
- मिजोरम में विधानसभा सीटों पर औसतन 20 से 22 हजार वोट पड़ते हैं
- मिजोरम की कुल जनसंख्या लगभग 11 लाख के आसपास है
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कैसे हुआ था मिजोरम राज्य का गठन, समझें क्यों खास है यहां का चुनाव