डीएनए हिंदी: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को उन मीडिया रिपोर्टों को "मिस्लीडिंग" और "फॉलशियस" बताया, जिसमें दावा किया गया था कि राजनीतिक दबाव के कारण COVID-19 वैक्सीन Covaxin के लिए रेगुलेटरी अप्रूवल किया गया था. उन्होंने कहा कि इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के लिए COVID-19 वैक्सींस को मंजूरी देने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और निर्धारित मानदंडों का पालन किया गया. मंत्रालय ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि भारत बायोटेक स्वदेशी COVID-19 वैक्सीन Covaxin के निर्माता, को "कुछ प्रक्रियाओं को छोड़ना पड़ा" और राजनीतिक दबाव के कारण क्लीनिकल ट्रायल्स को "तेज" करना पड़ा.
कई अनियमितताओं का दावा
मीडिया रिपोर्टों में आगे दावा किया गया कि वैक्सीन के लिए किए गए क्लीनिकल ट्रायल्स के तीन चरणों में कई अनियमितताएं थीं. मंत्रालय ने कहा कि ये मीडिया रिपोर्ट पूरी तरह से मीस्लिीडिंग, भ्रामक और फेक सूचना है. सरकार ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार और राष्ट्रीय नियामक यानी सीडीएससीओ ने इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के लिए कोविड-19 टीकों को मंजूरी देने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और निर्धारित मानदंडों का पालन किया है.
विचार विमर्श के बाद की सिफारिशें
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने 1 और 2 जनवरी, 2021 को बैठक की और विचार-विमर्श के बाद भारत बायोटेक के कोविड-19 वायरस वैक्सीन के प्रतिबंधित आपातकालीन अनुमोदन के प्रस्ताव के संबंध में सिफारिशें कीं. जनवरी 2021 में प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए कोवाक्सिन को मंजूरी देने से पहले, विषय विशेषज्ञ समिति ने टीके की सुरक्षा और प्रतिरक्षण क्षमता पर डाटा की समीक्षा की और जनहित में एक आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए एक प्रचुर एहतियात के रूप में अनुमति देने की सिफारिश की.
सभी प्रक्रियाओं का हुआ पालन
मंत्रालय ने कहा कि कोवाक्सिन की प्रस्तावित खुराक के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए एसईसी की मंजूरी भारत बायोटेक द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक आंकड़ों पर आधारित थी. इसके अलावा, कोवाक्सिन के क्लीनिकल ट्रायल्स में कथित 'अवैज्ञानिक परिवर्तन', जैसा कि समाचार रिपोर्टों में दावा किया गया है, सीडीएससीओ में भारत बायोटेक द्वारा प्रस्तुत किए जाने, सीडीएससीओ में उचित प्रक्रिया के अनुपालन और डीजीसीआई से अनुमोदन के बाद किए गए थे.
कौन थे एक्सपर्ट
मंत्रालय ने कहा कि भारत बायोटेक द्वारा प्रस्तुत और सीडीएससीओ के एसईसी द्वारा अंतरिम एफिकेसी और सेफ्टी डाटा के आकलन के आधार पर, 'क्लीनिकल ट्रायल मोड' में COVID-19 वैक्सीन के प्रशासन की शर्त को 11 मार्च, 2021 को हटा दिया गया था. सीडीएससीओ की विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर ही राष्ट्रीय नियामक द्वारा विभिन्न स्थितियों और प्रतिबंधों के साथ आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए कोवाक्सिन सहित कोविड-19 टीकों के लिए ऑथराइजेशन प्रदान किया गया था. विषय विशेषज्ञ समिति में पल्मोनोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, इंटरनल मेडिसिन आदि क्षेत्रों के नॉलेज एक्सपर्ट शामिल हैं.
भारत बायोटेक का भी आया बयान
वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने इस बात से इनकार किया है कि कोविड-19 के टीके कोवैक्सिन के विकास में तेजी लाने के लिए उस पर कोई बाहरी दबाव था. हैदराबाद स्थित कंपनी ने गुरुवार को एक बयान में कहा, हम ऐसे बयानों की निंदा करते हैं. ऐसी बात करने वाले वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया को समझने में असमर्थ हैं. बयान में कहा गया है कि भारत और वैश्विक स्तर पर जीवन को बचाने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी टीका विकसित करने का उन पर आंतरिक दबाव था. कंपनी ने दावा किया कि कोवैक्सिन दुनिया भर में सबसे अधिक अनुसंधान किए गए कोविड-19 टीकों में से एक है.
लगभग 20 प्रीक्लिनिकल ट्रायल हुए
कोवाक्सिन का लगभग 20 प्रीक्लिनिकल परीक्षण किया गया, जो किसी भी अन्य भारतीय कोविड-19 वैक्सीन से अधिक है. भारत बायोटेक ने कहा कि इन परीक्षणों में कोवाक्सिन की सुरक्षा और इसका प्रभावकारिता देखी गई. वैक्सीन निर्माता ने दावा किया कि दुनिया भर में कई सौ मिलियन खुराक के साथ कोवाक्सिन ने उत्कृष्ट सुरक्षा रिकॉर्ड स्थापित किया. बयान में कहा गया कि कुछ व्यक्ति और संगठन महामारी के दौरान ज्यादातर फर्जी खबरों और झूठी सूचनाओं के प्रसारण में शामिल थे. ऐसे लोग ही इस तरह की बातें करते हैं. कंपनी की ओर से कहा गया कि जब ये लोग और संगठन महामारी के दौरान झूठी सूचनाओं और फर्जी खबरों में व्यस्त थे, तो देश भर में भारत बायोटेक के 1 हजार से अधिक कर्मचारी टीके के विकास, परीक्षण, निर्माण और वितरण में व्यस्त थे. भारत बायोटेक की टीम को कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने के अपने प्रयासों पर बेहद गर्व है. हमारे काम को बदनाम करने के ये प्रयास हमें अपने रास्ते से नहीं डिगा पाएंगे.
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- मीडिया रिपोर्ट झूठी, पॉलिटिकल प्रेशर से नहीं मिला था कोवाक्सिन को अप्रूवल