डीएनए हिंदी: Haldwani News- हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर बसे बनभूलपुरा के 4,000 से ज्यादा घरों पर बुलडोजर अभी नहीं चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस बस्ती को गिराने पर लगी रोक को 8 सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुनवाई की, जिसमें रेलवे के दावे वाली जमीन से कब्जाधारियों को हटाने के लिए कहा गया था. उत्तराखंड सरकार और रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एसके कौल और जस्टिस मनोज मिश्रा की मौजूदगी वाली बेंच के सामने अपना पक्ष रखा. राज्य सरकार और रेलवे ने इस विवाद का समाधान तलाशने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर लगी रोक को 8 सप्ताह तक बढ़ा दिया. इस मामले में अगली सुनवाई अब 2 मई को होगी. इससे पहले 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के सामने यह मामला जनहित याचिका के जरिए रखा गया था. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले के अनुपालन पर रोक लगा दी थी.
4,365 घरों, दुकानों, मंदिर-मस्जिदों को माना गया है अतिक्रमण
हल्द्वानी में रेल लाइन से सटी करीब 29 एकड़ जमीन पर बनभूलपुरा कॉलोनी बसी है. इस बस्ती के 4,365 घर, दुकान, मंदिर, मस्जिद आदि को रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण मानकर कब्जा हटाने का नोटिस जारी किया गया था. यह कब्जा रेलवे की तरफ से जारी नोटिस के हिसाब से 9 जनवरी तक हटना था. कब्जा हटाने का यह नोटिस उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के तहत दिया गया था. करीब 50,000 लोगों को अपने घरों-दुकानों से महरूम करने वाली इस कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.
आजादी से भी पहले से बसी हुई है बस्ती
करीब 2.2 किलोमीटर से ज्यादा एरिया में बसा यह इलाका बनभूलपुरा के अलावा गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर के नाम से भी जाना जाता है. यहां रहने वाले लोगों का दावा है कि उनके परिवार यहां आजादी से भी पहले से बसे हुए हैं. आधे से ज्यादा लोग अपने पास भूमि के पट्टों के दस्तावेज होने का भी दावा कर रहे हैं.
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Haldwani में अभी नहीं टूटेंगे रेलवे की जमीन पर बने 4,000 घर, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश